Refinery in Pachpadra: पश्चिमी राजस्थान में पचपदरा रिफाइनरी अब शुरुआत की दहलीज पर है। करीब 72 हजार करोड़ की यह परियोजना दिसंबर 2025 में तेल उत्पादन शुरू कर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देगी।
बालोतरा। पश्चिमी राजस्थान की रेत अब तेल रूपी 'सोना' उगलने को तैयार है। करीब 12 साल के लंबे इंतजार के बाद बालोतरा जिले के पचपदरा में एचपीसीएल रिफाइनरी के शुरू होने की उम्मीद जागी है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने रिफाइनरी के दिसंबर 2025 तक शुरू होने के संकेत दिए हैं।
लगभग 72,000 करोड़ रुपए की लागत से तैयार यह परियोजना राजस्थान की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित होगी, जिससे निवेश और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री शर्मा ने हाल ही में नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर परियोजना की प्रगति रिपोर्ट सौंपी और उद्घाटन के लिए समय मांगा है। सूत्रों के अनुसार, सरकार अपनी दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर इस मेगा परियोजना का शुभारंभ कर सकती है।
मुख्यमंत्री ने हाल ही में कोलकाता प्रवास के दौरान प्रवासी राजस्थानियों से संवाद में कहा कि डाउनस्ट्रीम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान पेट्रो जोन विकसित किया जा रहा है, जिसमें 11 ब्लॉकों में कार्य शुरू हो चुका है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की रिफाइनरी परियोजना में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यह रिफाइनरी हजारों प्रत्यक्ष और लाखों अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करेगी, जिससे बालोतरा, बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर के युवाओं को सीधा लाभ मिलेगा।
रिफाइनरी केवल पेट्रोल और डीजल तक सीमित नहीं होगी। यहां पेट्रोकेमिकल उत्पाद भी बनाए जाएंगे, जिनसे प्लास्टिक, फाइबर, डिटर्जेंट और अन्य औद्योगिक वस्तुएं तैयार होंगी। रिफाइनरी से जुडे सड़क मार्ग और विद्युत आपूर्ति की प्रमुख परियोजनाएं अंतिम चरण में हैं।
डाउनस्ट्रीम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान पेट्रो जोन में भूमि आवंटन की प्रक्रिया जारी है। ऐसे में रिफाइनरी से पश्चिमी राजस्थान की किस्मत बदलने की उम्मीद है। यह प्रदेश को पेट्रोकेमिकल हब बनाने के साथ आर्थिक दृष्टि से सशक्त बनाएगी।
इस परियोजना का 12 साल का सफर रहा है। 2013 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 37,000 करोड़ की लागत से रिफाइनरी का शिलान्यास किया था। फिर वसुंधरा राजे सरकार ने पुराने वित्तीय मॉडल को बदलकर 2017 में संशोधित रूप पेश किया। 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 43,129 करोड़ की लागत से परियोजना का पुनः शुभारंभ किया। बाद में कांग्रेस सरकार ने इसे 'ड्रीम प्रोजेक्ट' बताया, लेकिन कोविड-19 और प्रशासनिक कारणों से काम की रफ्तार धीमी रही। वर्तमान भाजपा सरकार का दावा है कि 95 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है और दिसंबर से उत्पादन शुरू हो जाएगा।