Beawar News : नगरीय सीमा का करीब 45 साल बाद विस्तार होगा। इसमें शहर से सटे करीब 30 गांव शामिल हो सकते हैं। हाल में शहरी क्षेत्र की जनसंख्या एक लाख 51 हजार 152 है। नगरीय सीमा के विस्तार के बाद जनसंख्या एक लाख 89 हजार 864 के करीब हो जाएगी।
भगवतदयाल सिंह/ब्यावर। नगरीय सीमा का करीब 45 साल बाद विस्तार होगा। इसमें शहर से सटे करीब 30 गांव शामिल हो सकते हैं। हाल में शहरी क्षेत्र की जनसंख्या एक लाख 51 हजार 152 है। नगरीय सीमा के विस्तार के बाद जनसंख्या एक लाख 89 हजार 864 के करीब हो जाएगी। इससे शहर में वार्डों की संख्या भी बढ़ेगी। नया क्षेत्र मिलने से करीब 39 हजार की जनसंख्या शहरी सीमा में और शामिल हो सकती है। तीन नवंबर 1979 में नगरीय सीमा बढ़ने के बाद वार्ड की संख्या 22 से बढ़कर 35 हो गई थी। वर्ष 1979 के बाद नगरीय सीमा का विस्तार नहीं किया गया।
नगरीय सीमा के विस्तार हुए करीब 45 साल बीत चुके हैं। इन 45 साल में शहर का दायरा तेजी से बढ़ा। शहर में करीब एक हजार से अधिक कॉलोनियां विकसित हो गईं। इनमें साढे़ पांच सौ से अधिक तो स्वीकृत कॉलोनियां हैं। जबकि छह सौ से अधिक अस्वीकृत कॉलोनियां हैं। शहरी सीमा में शामिल होने वाली करीब 39 हजार की जनसंख्या में करीब 19 हजार 769 पुरुष, 18 हजार 943 महिलाएं, 6 हजार 500 अनुसूचित जाति, 119 जनजाति एवं 32 हजार 93 सामान्य वर्ग के लोग शामिल होंगे।
नगरीय सीमा के विस्तार को लेकर नगर परिषद प्रशासन की ओर से प्रस्ताव तैयार कर लिए गए हैं। इसमें ग्राम डूंगरखेडा, शंभूपुरा, शोभापुरा, मेडिया, ब्यावर खास, मकरेड़ा, रामपुरा मेवातियान, सरमालिया, दौलतपुरा बलाईयान, देलवाड़ा, शेषपुरा, गढ़ी थोरियान, बलाड़, कुशालपुरा, मालपुरा, नून्द्री मालदेव, केसरपुरा, भोजपुरा, गणेशपुरा, शिवनाथपुरा, गोविन्दपुरा, जालिया प्रथम, बाड़िया जग्गा, बाड़िया श्यामा, रामसर बलाईयान, ठीकराना मेन्द्रातान, सिरोला, रतनपुरा सरदारा, नून्द्री मेन्द्रातान को शहरी सीमा में शामिल किया जा सकता है।
नगरीय सीमा में गांवों के शामिल होने से आमजन पर रोजगार की दृष्टि से कोई असर नहीं आएगा। पहले मनरेगा का काम शहर में नहीं चलने से श्रमिक वर्ग से जुड़े लोगों के सामने यह परेशानी आती है। अब शहरी मनरेगा का काम शुरू हो चुका है। ऐसे में लोगों के काम मिलने पर कोई असर नहीं होगा। जबकि इन गांवों में शहरी सुविधाएं भी मिल सकेंगी। इससे नगरीय सीमा में मिलने वाले लोगों को बेहतर सफाई व्यवस्था मिलेगी। इसके अलावा रोशनी व्यवस्था बेहतर होगी। साथ ही विकास को भी गति मिलेगी। आने वाले कुछ सालों में जिला स्तरीय कार्यालय के नए भवन बनने से इन क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
वर्ष 1962 में नगर पालिका में 16 पार्षद थे। दो महिला सदस्यों का मनोनयन होता था। जनसंया करीब 25 से 28 हजार तक थी। वर्ष 1965 में पार्षदों की संया 18, वर्ष 1970 में 22, वर्ष 1988 में 35, वर्ष 2008 में पार्षदों की संया 45 कर दी गई। वर्ष 2019 में पार्षदों की संया को 45 से बढ़ाकर 60 किया गया। वार्डों का परिसीमन किया गया। नगरीय सीमा में विस्तार होने के बाद वार्डों की संया में और इजाफा होगा।
नगरीय सीमा उत्तर में डूंगरखेड़ा ग्रामीण सीमा से निकलने वाली रास-बाबरा सड़क के उत्तरी सिरे से उत्तरी सरहद को लेते हुए ब्यावर खास की सरहद के शामिल करते हुए सरमालिया गांव की उत्तरी पूर्वी सरहद तक। इसी प्रकार पूर्व में सरमालिया ग्राम की उत्तरी पूर्वी सरहद से पूरब चलते हुए देलवाड़ा को शामिल करते हुए शेषपुरा ग्राम की पूर्वी सरहद को लेते हुए बलाड़ ग्राम की पूर्वी दक्षिणी सरहद तक। दक्षिण दिशा में बलाड़ ग्राम की पूर्वी दक्षिणी सरहद से चलते हुए ग्राम कुशालपुरा, मालीपुरा, ग्राम नून्द्रीमालदेव, ग्राम केसरपुरा परसा, शिवनाथपुरा होते हुए जालिया प्रथम की दक्षिणी-पश्चिमी सीमा तक। पश्चिम दिशा में जालिया प्रथम ग्राम की दक्षिणी पश्चिमी सीमा से चलकर ग्राम बाडि़या जग्गा, ग्राम ठीकराना मेन्द्रातान, ग्राम सिरोला होते हुए डूंगरखेडा गांव में रास-बाबरा को जाने वाली सड़क की दक्षिणी सीमा तक।