बेमेतरा

स्वामी आत्मानंद स्कूल का हाल बेहाल! टीचर हैं न किताब, मरम्मत कार्य भी अधूरा…

Swami Atmanand School: उन्हें राजधानी, न्यायधानी, शिक्षा धानी जैसे शहर के बच्चों के बराबर शिक्षा मिलें, कुछ ऐसे ही सोच के साथ पूर्व सरकार ने आत्मानंद स्कूल की शुरुआत की थी।

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Jul 15, 2025
स्वामी आत्मानंद स्कूल का हाल बेहाल! टीचर हैं न किताब(photo-unsplash)

Swami Atmanand School: छत्तीसगढ़ के नवागढ़ गांव गरीब के बच्चे अंग्रेजी में पढ़ाई करे। उन्हें राजधानी, न्यायधानी, शिक्षा धानी जैसे शहर के बच्चों के बराबर शिक्षा मिलें, कुछ ऐसे ही सोच के साथ पूर्व सरकार ने आत्मानंद स्कूल की शुरुआत की थी। इस स्कूल के पढ़ाई के लिए रूझान इतना बढ़ा कि लोग अन्य अंग्रेजी माध्यम से बच्चे को निकालकर इस स्कूल में दाखिला दिलाए। आज उस स्कूल की स्थिति यह है कि न बच्चों के पास किताब है न उन्हें कोई पढ़ाने वाला है।

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Swami Atmanand School: मरम्मत के जारी राशि का उपयोग नहीं

नगर पंचायत मारो में संचालित स्वामी आत्मानंद स्कूल में प्राथमिक कक्षा को पढ़ाने कोई टीचर नहीं हैं, केजी वन से १२वीं तक की स्थिति यह कि लगभग आधे पद रिक्त हैं, डेढ साल में नई सरकार आजतक कितना किताब देना सुनिश्चित नहीं कर सकी है। पंद्रह जून से नवीन शैक्षणिक सत्र का शुभारंभ हुआ आज एक महीने में पढ़ाई पूरी नहीं हो सकी है। पूरे जिले में छठवीं कक्षा की पढ़ाई के लिए आधी किताब नहीं आई हैं।

कुछ स्कूल तो पुरानी किताब से पढ़ाई कर रहे हैं। सरकार ने जोर-शोर से सुशासन तिहार मनाया, लेकिन अनुशासन गायब हो गया। जिला शिक्षा अधिकारी परीक्षा परिणाम में कमजोर प्रदर्शन करने वाले हाई स्कूल व हायर सेकेण्डरी स्कूल के प्रमुखों को कारण बताओं नोटिस जारी कर रहे हैं। अच्छा होता अगर पांचवीं, आठवीं उत्तीर्ण छात्रों से छब्बीस अक्षर लिखवा लेते।

कैसे पढ़ें बच्चे

प्राथमिक शिक्षा की बदहाली ने आज वह स्थिति निर्मित कर दी है कि दसवीं में जाने के बाद आधे बालकों के शिक्षा में ब्रेक लग जाता है। सच्चाई यह भी है कि राज्य को एक बेहतर पूर्णकालिक शिक्षा मंत्री की दरकार है जो शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर ला सके। नौकरशाही का नतीजा यह कि मुख्यमंत्री के पास शिक्षा विभाग होते हुए भी किताब के लिए बच्चे भटक रहे हैं।

राज्य में खनिज मद के दुरुपयोग में बेमेतरा जिला पीछे नहीं है। मारो नगर पंचायत के स्वामी आत्मानंद स्कूल के मरम्मत के लिए जितनी राशि जारी की गई उस राशि से तीन साल में मरम्मत कार्य पूर्ण नहीं हो सका। स्कूल के कमरे दीवाल, पाइप, बिजली सब ग्रामीण यांत्रिकी विभाग की जिम्मेदारी का बखान कर रहे हैं। बेतरतीब पड़े सामग्री खंडहर होते कमरे बोल रहे हैं कि इस जिले में आइना का काम नही है।

स्कूल जतन योजना में फर्जीवाड़ा करने वालों भरपूर संरक्षण प्राप्त है, अन्यथा जांच का जिम्मा ज़िला शिक्षा अधिकारी को नहीं दिया गया होता। जांच उस विभाग से कराया जाता जिसके पास तकनीकी टीम है। सच्चाई यह की सरकार बदलने के बाद भ्रष्टाचार का सिस्टम अप ग्रेड हुआ है। मारो स्कूल में मरम्मत के नाम पर जो कुछ किया गया या जो कुछ किया जा रहा है इसे लोग नहीं भूल पाएंगे क्योंकि लागत को याद दिलाया जाएगा।

Updated on:
15 Jul 2025 03:38 pm
Published on:
15 Jul 2025 03:18 pm
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