Bharatpur Bulldozer Action : भरतपुर नगर निगम ने करीब 20 करोड़ रुपए की जमीन से 4 जेसीबी की सहायता से अवैध निर्माण को ध्वस्त कर पुन: कब्जा कर लिया है। साथ ही इस जमीन पर नगर निगम की संपत्ति का बोर्ड भी लगा दिया है।
Bharatpur Bulldozer Action : भरतपुर नगर निगम ने कुम्हेर गेट स्थित करीब 20 करोड़ रुपए की सरकारी जमीन से 4 जेसीबी की सहायता से अवैध निर्माण को ध्वस्त कर पुन: कब्जा कर लिया है। साथ ही इस जमीन पर नगर निगम की संपत्ति का बोर्ड भी लगा दिया है।
पिछले माह नगर निगम आयुक्त ने भरतपुर के कुम्हेर गेट स्थित सरकारी जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया था। क्योंकि आवंटनधारी ने 750 वर्गगज भूखंड का किराया 314 रुपए सालाना 25 साल से जमा नहीं कराया था। पूर्व में ही आवंटनधारी को भूखंड खाली कर नगर निगमको सुपुर्द करने के आदेश जारी किए थे। जमीन का बाजार मूल्य करीब 20 करोड़ रुपए आंका गया है। टीम भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंची। जहां 4 जेसीबी से करीब एक घंटे तक निर्माण को तोड़ा गया। इसके बाद नगर निगम की संपत्ति का बोर्ड लगाया गया।
नगर निगम आयुक्त श्रवण कुमार विश्नोई के अनुसार नगर निगम की नजूल भूमि संख्या 10 कुम्हेर गेट पर स्थित है। इसे वर्ष 1963 में छत्तरभान सिंह पुत्र कर्नल गिरधर सिंह को वार्षिक किराया 314 रुपए पर औद्योगिक प्रयोजन के लिए दिया गया था। भूमि के निर्धारित उपयोग में नहीं आने, वर्तमान में संपत्ति के खाली होने, संपत्ति का 25 साल से किराया जमा नहीं कराने एवं मूल शर्तों का उल्लंघन होने की सूचना संबंधित वार्ड के जमादार से प्राप्त हुई। कनिष्ठ अभियंता से मौका वस्तुस्थिति रिपोर्ट प्राप्त कर 10 जून 2025 को सात दिवस का कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
समय गुजरने के बाद अंतिम नोटिस 25 जून 2025 को भेजा गया, लेकिन किरायेदार ने कोई जवाब नहीं देते हुए नोटिस के विरुद्ध राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। 3 सितम्बर को राजस्थान हाईकोर्ट ने निर्णय सुनाया। इसके बाद 25 सितम्बर को वर्षों से नजूल भूमि का किराया जमा नहीं कराने, औद्योगिक उपभोग में नहीं लेने पर नगर निगम की कुम्हेर गेट स्थित नजूल भूमि संख्या 10 व 750 वर्गगज भूमि की किरायेदारी निरस्त कर 30 दिवस में कब्जा नगर निगम को सुपुर्द करने के आदेश दिए थे। समय अवधि गुजरने के बाद नगर निगम अपने स्तर पर संपत्ति पर कब्जा लेने की कार्रवाई करेगी। इसके हर्जा खर्चा की जिम्मेदारी छत्तरभान सिंह की होगी।
राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देशानुसार निगम उक्त आदेश की दिनांक से 30 दिवस की अवधि गुजरने के बाद से कब्जा सुपुर्द करने तक 30 हजार रुपए प्रतिमाह किराया वसूल करेगी, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आने पर नगर निगम की ओर से कार्रवाई की गई है।
पिछले कुछ समय से नगर निगम प्रशासन की ओर से जमीनों पर नजर रखी जा रही है। यही कारण है कि पिछले साल से काली की बगीची के पास नाले की जमीन से अतिक्रमण हटाया गया था। इसके बाद 2 बड़े नामी निजी स्कूलों की जमीनों से कब्जा लिया गया था, उन जमीनों की कीमत करोड़ों रुपए में थी। इसके अलावा अन्य जमीनों पर कवायद की जा रही है।