Bharatpur Traffic Police : भरतपुर में ट्रैफिक पुलिस के हाथों में गुलाब का फूल देखकर लोग चौंक गए। आखिरकार माजरा क्या है? पर जल्द ही सबकी समझ में आ गया कि भरतपुर के ट्रैफिक पुलिस का क्यों बदला है अंदाज। जनता ने ट्रैफिक पुलिस की खूब वाहवाही की। जानें पूरा मामला।
Bharatpur Traffic Police : भरतपुर में ट्रैफिक पुलिस के हाथों में गुलाब का फूल देखकर एकबारगी लोग चौंक गए। आखिरकार माजरा क्या है? पर जल्द ही सबकी समझ में आ गया कि भरतपुर के ट्रैफिक पुलिस का अंदाज क्यों बदला-बदला नजर आ रहा है। जान लेने के बाद जनता ने ट्रैफिक पुलिस की खूब वाहवाही की।
हुआ यूं कि मंगलवार और बुधवार को भरतपुर के सबसे व्यस्त चौराहे पर भरतपुर ट्रैफिक पुलिस कई जवान अपने हाथों में गुलाब का फूल लेकर खड़े थे। जैसे ही कोई नागरिक हेलमेट पहने नहीं मिलता या फिर सुरक्षा नियमों को तोड़ता मिलता, उसे तत्काल एक तरफ ले जाते और उसे गुलाब का फूल देते है। फिर हाथ जोड़कर उनसे हेलमेट पहनने और सुरक्षा नियमों का पालन करने का आग्रह करते। पर इस मौके पर ट्रैफिक पुलिस ने न किसी का चालान काटा और नहीं कोई जुर्माना लगाया। भरतपुर ट्रैफिक पुलिस लगता है कि शायद उनकी गांधीवादी विचारधारा इस काम में कारगर साबित हो।
भरतपुर एसपी दिगंत आनंद ने इस अभियान की शुरुआत 20 अगस्त को किया था। यह अभियान शहरभर के सभी प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थानों पर 10 दिन तक और चलेगा। एसपी दिगंत आनंद ने बताया कि 10 दिन के इस अभियान तहत हम नागरिकों से हेलमेट पहनने और बुनियादी यातायात नियमों का पालन करने की अपील करेंगे। पर उसके बाद पूरे शहर में एक सख्त अभियान चलाया जाएगा, उसमें किसी के साथ कोई रियायत नहीं बरती जाएगी।
आनंद ने बताया कि एक बार एक कॉन्स्टेबल ने बिना हेलमेट पहने एक बाइक सवार को रोका। जब उससे पूछा गया, तो सवार ने जवाब दिया कि वह अपने बाल खराब नहीं करना चाहता था। कॉन्स्टेबल ने हैरान होकर उसकी पीठ थपथपाई, उसे एक फूल दिया। उसे अपनी सुरक्षा के बारे में सोचने के लिए कहा। इस बाइक सवार ने शर्मिंदा होकर कहा, आगे से वो हेलमेट पहनेगा।
आनंद ने कहा, इस पहल का उद्देश्य है कि संवाद के माध्यम से सुरक्षित ड्राइविंग की संस्कृति को बढ़ावा देना है। जिससे दुर्घटनाओं में कमी आए। उन्होंने कहा कि सभी ट्रैफ़िक अफसरों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही इस अभियान को अंतिम रूप दिया गया। अधिकारियों का मानना है कि जब लोगों से सम्मान और सहानुभूति के साथ संपर्क किया जाता है, तो वे बेहतर प्रतिक्रिया देते हैं। आनंद ने बताया कि हमारा मकसद नागरिकों को सड़क सुरक्षा के महत्व का एहसास दिलाना है नाकि कानून का डर दिखाना है।
ट्रैफिक पुलिस की टीमें सक्रिय हैं। वाहन चालकों से सीधे संपर्क कर रहे हैं। पर्चे बांट रहे हैं और उन्हें समझा रहे हैं कि तेज़ गति और लापरवाही से गाड़ी चलाना खतरनाक है। वाहन चलाते हुए मोबाइल का इस्तेमाल दुर्घटना को निमत्रंण देता है। अधिकारियों ने कहा कि जुर्माना लगाना एक विकल्प है, पर समझाइश अक्सर लंबे समय तक असर छोड़ती है।
एक 22 वर्षीय युवा ने ट्रैफिक पुलिस के इस अभियान के बारे में अपने अनुभव को शेयर करते हुए बताया कि सर्किट हाउस चौराहे पर पुलिस ने मुझे रोका। मैं सोच रहा था कि अब चालान कटेगा। पर पुलिस के इस कदम से मैं हैरान रह गया। उन्होंने मुझे एक गुलाब दिया और सावधान रहने को कहा। साथ ही ट्रैफिक नियमों के पालन करने को कहा।
एक अन्य मामले में ट्रैफिक कांस्टेबल ने एक व्यक्ति को बिना हेलमेट के गाड़ी चलाते देखा। इंस्पेक्टर ने हाथ जोड़कर उससे अगली बार हेलमेट पहनने की अपील की। जवाब में उस व्यक्ति ने कहा कि उसने गलती की है और पुलिस को अपना नाम लिखने को कहा, और वादा किया कि वह फिर कभी बिना हेलमेट के नहीं पकड़ा जाएगा।