CG News: अत्याधुनिक फिल्टर प्लांट बनाने लिए बात जमीन पर आकर अटक रही है। निगम प्रशासन को एक बार फिर बीएसपी प्रबंधन का मुंह ताकना पड़ रहा है।
CG News: रिसाली नगर निगम प्रदेश का एक ऐसा निगम है जिनके पास खुद की जमीन नहीं है। उसका दफ्तर भी भिलाई इस्पात संयंत्र के उधार के भवन पर संचालित है। भिलाई निगम से अलग कर रिसाली निगम बनाया गया है। अब रिसाली निगम प्रशासन अपने लिए अलग पेयजल व्यवस्था बनाना चाहता है, लेकिन जमीन नहीं होने से उनकी यह योजना अधर में लटक गई है। अभी पानी के लिए वह भिलाई निगम पर आश्रित हैं।
बीएसपी ने पूर्व में करीब 300 एकड़ जमीन हस्तांरित की है, लेकिन वह किसी काम का नहीं हैं। उस जमीन पर घनी बस्तियां हैं। नगर निगम रिसाली शासन की अमृत मिशन 0.2 योजना के तहत दूसरे चरण में पेयजल योजना को मूर्त रूप देने की तैयारी में है। 1.30 लाख लोगों के घरों तक पानी की आपूर्ति अपने खुद के संसाधनों से करना चाहता है।
इसके लिए उनके 30 एमएलडी का अत्याधुनिक फिल्टर प्लांट बनाना है। बात जमीन पर आकर अटक रही है। निगम प्रशासन को एक बार फिर बीएसपी प्रबंधन का मुंह ताकना पड़ रहा है। इसके लिए 3 अप्रैल को भिलाई स्टील प्लांट, नगर निगम रिसाली और सिंचाई विभाग के अधिकारियों की संयुक्त बैठक होने वाली है।
इधर निगम प्रशासन छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद टेक्निकल यूनिवर्सिटी ( सीएसवीटीयू) के ऑफर पर भी विचार कर रहा है। जिसके अनुसार सीएसवीटीयू फिल्टर प्लांट के लिए 5 एकड़ जमीन देगा। बदले में सीएसवीटीयू प्रबंधन हर दिन 4.5 लाख लीटर पानी मांग रहा है।
नगर निगम रिसाली मरोदा डेम से पानी को लिफ्ट करेगा। इसके बाद इस पानी को सीएसवीटीयू के करीब फिल्टर प्लांट में ले जाया जाएगा। वहां पानी को फिल्टर किया जाएगा। इसके बाद निगम के करीब 34 वार्डों में पानी की आपूर्ति की जाएगी।
जमीन मिले तो बात बने
CG News: आशुतोष सारस्वत, कार्यपालन अभियंता, तांदुला जल संसाधन विभाग, दुर्ग: रिसाली निगम से अमृत मिशन-2 के तहत 30 एमएलडी पानी की डिमांड मिली है। पेयजल उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिए तांदुला जलाशय या दूसरे जगह से पानी लेकर व्यवस्था की जाएगी।