CGPSC Topper: यह कहानी दुर्ग जिले के नगपुरा गांव के उत्तम कुमार महोबिया की है.. बचपन में ही उत्तम के सिर से पिता का साया उठ गया। मां सीता महोबिया ने अकेले उनके लालन-पालन की जिम्मेदारी उठाई..
CGPSC Result: आज संघर्ष से सफलता तक पहुंचने वाले उस रियल हीरो से मिलिए जिसने साबित कर दिखाया है कि रिजेक्शन मात्र एक शब्द है, जिसे सलेक्शन में बदला जा सकता है। यह कहानी दुर्ग जिले के नगपुरा गांव के उत्तम कुमार महोबिया की है। यह वही युवा है, जिसने सीजी पीएससी की हाल ही में आई सलेक्शन लिस्ट में दसवां स्थान हासिल किया है।
बचपन में ही उत्तम के सिर से पिता का साया उठ गया। मां सीता महोबिया ने अकेले उनके लालन-पालन की जिम्मेदारी उठाई। नगपुरा के ही सरकारी स्कूल से पढ़ने वाला उत्तम हर साल प्रथम स्थान हासिल करता रहा। बारहवी में 94.6 प्रतिशत अंक आए। उस समय के बोर्ड टॉपर्स को प्रोत्साहित करने आईजी पुलिस प्रदीप गुप्ता ने उन्हें सिविल सिर्विसेज की तैयारी करने को कहा। आईजी की बातें उत्तम के दिल में घर कर गई और ठान लिया कि एक दिन अफसर जरूर बनेंगे।
इस साल सीजीपीएससी में डिप्टी कलेक्टर की मात्र सात पोस्ट थी। ऐसे में उत्तम को मिली दसवीं रैंक से उन्हें सहायक संचालक अनूसूचित जाति कल्याण विभाग का पद मिलना तय हो गया है। उत्तम कहते हैं कि, करंट अफेयर्स की तैयारी का सबसे अच्छा माध्यम अखबार है।
इसके बाद ही आपको डिजिटल की ओर जाना चाहिए। परीक्षा की तैयारी के दौरान ऐसे लोगों से घिरे रहिए जो पॉजीटिव सोचते हैं जो आप पर भरोसा जताएं। क्योंकि, एक बार में नहीं होगा लेकिन एक दिन जरूर होगा।
CGPSC Topper: उत्तम बताते हैं कि इंटरव्यू सवाल पूछा गया कि, तुम तीन अटेंप्ट में भी सलेक्ट नहीं हो पाए। पांच साल की तैयारी में तो बढ़िया पोस्ट मिल जानी चाहिए थी। मैंने सूझबूझ का तरीका निकाला और पैनल को बीते पांच साल में किए संघर्ष और तैयारी की बातें इतमिनान से बताई।
इस सवाल के बाद पूरा इंटरव्यू बिल्कुल स्मूद हो गया। पैनल ने इसके बाद मुझसे मेरे बायोडेटा के संबंधित सवाल ही पूछे। सीजी पीएससी और अन्य परीक्षाआें की तैयारी कर रहे युवाओं को सफलता का सूत्र समझाते हुए उत्तम बताते हैं कि पीएससी प्री का पैटर्न अब बिल्कुल बदल चुका है। अब पहले से अधिक स्टैंडर्ड के सवाल पूछे जाते हैं। इन सवालों को हल करने मिलने वाला मात्र एक मिनट आपकी पूरी जिंदगी को बदल सकता है। ऐसे में नियमित तैयारी सबसे जरूरी है। कम से कम दिन में 8 से 12 घंटे की पढ़ाई जरूरी होती है।
उत्तम ने बताया कि, सीजी पीएससी हो या कोई भी अन्य एग्जाम। सफलता का श्रेय सभी को जाता है। अक्सर, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले प्रतिभागी यही सोचते हैं कि यदि इस बार सफल नहीं हो पाया तो लोग क्या कहेंगे। परिवार पर बोझ बढ़ेगा। दोस्त और रिश्तेदार ताने मारेंगे।
असल में ऐसा होता भी है, मगर यदि परिवार, दोस्त और रिश्तेदार आपकी कैपेसिटी को जानते हैं और उन्हें आप पर भरोसा है तो यह सभी बातें बेमानी हो जाती है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ। मेरा यह सलेक्शन चौथे प्रयास में हुआ है। सबसे पहले प्रयास में सिर्फ प्री-क्लीयर हुआ। इससे परिवार को उमीद हो गई कि मैं आगे बढ़ सकता हूं। दोस्तों ने भी मुझ पर भरोसा जाताया।
अगले प्रयास में मैं मेंस में फिर फंस गया। तीसरे प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंचा मगर, सलेक्शन नहीं हो पाया। इतनी बार रिजेक्शन के बाद भी परिवार और दोस्तों ने मुझे कहा कि, अगली बार तुम बड़े अफसर बनोगे। नतीजा, आपके सामने है, मैंने चौथी बार में इंटरव्यू क्लीयर करके टॉप-10 में जगह बना ली।
साल 2015 से 2019 तक रूंगटा आर-1 इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल ब्रांच में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उत्तम ने सिविल सर्विसेज का रास्ता चुन लिया। कॉलेज ने इन्हें प्रोत्साहित करते हुए इंजीनियरिंग के चार साल की पूरी फीस ही माफ कर दी।
रूंगटा आर-1 ग्रुप की कोशिश की बदौलत उत्तम की मां पर बेटे की पढ़ाई को लेकर आर्थिक बोझ नहीं पड़ा। नगपुरा से भिलाई कोहका आने-जाने में लगने वाला खर्च उत्तम से शासकीय स्कॉलरशिप से निकाला। यही नहीं, परिवार की मदद करने खेतों में काम भी किया। मन में सरकारी नौकरी का वाब बैठा चुके उत्तम को नौकरियों के कई ऑफर मिले, लेकिन उन्होंने सिर्फ सपनों को सच करने का रास्ता ही चुना।