भीलवाड़ा में पत्थरों के नीचे मिले मासूम के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है। लड़की का ममेरे भाई के साथ अवैध संबंध थे, जिससे गर्भ ठहर गया था। इसको छुपाने के लिए परिवार घर छोड़कर बूंदी में रहने गया था।
भीलवाड़ा। बिजौलियां के सीता कुंड क्षेत्र में पत्थरों के बीच मारने की नीयत से छोड़े गए नवजात शिशु के रहस्यमयी मामले की गुत्थी शुक्रवार को पुलिस ने सुलझा ली। पूरा मामला अवैध संबंध से जुड़ा पाया गया। पुलिस ने घटना को लेकर एक युवती व उसके पिता को हिरासत में लिया है।
दोनों से पूछताछ में सामने आया कि अविवाहित युवती के गर्भ ठहर जाने और उसके बाद बदनामी के डर से बचने के लिए उन्होंने कृत्य को अंजाम दिया। इधर, नवजात तेजस्व का अभी भीलवाड़ा राजकीय अस्पताल में इलाज चल रहा है, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।
मांडलगढ़ थाना प्रभारी घनश्याम मीणा ने बताया कि चित्तौड़गढ़ जिले की युवती के ममेरे भाई से अवैध संबंध हो गए थे। इससे वह गर्भवती हो गई। चार माह बाद युवती के माता-पिता को पता चला तो उनके होश उड़ गए। यह लोग बदनामी के डर से वहां से निकल गए। बूंदी जिले के बसोली थाना क्षेत्र के गांव में नाम बदलकर व कमरा किराए पर लेकर रहने लगे और यहीं मजदूरी करने लग गए।
बसोली में किराए पर कमरा लेकर रहने के दौरान परिजनों ने गृहस्वामी और ग्रामीणों को बताया कि उनकी बेटी और दामाद में अनबन चल रही है। दामाद ने बेटी को छोड़ रखा है। इस दौरान उन्होंने बेटी का गर्भपात करने का प्रयास भी किया, लेकिन कर नहीं पाए। 4 सितंबर को बेटी को प्रसव पीड़ा होने पर उसे बूंदी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां युवती ने बेटे को जन्म दिया। इसके बाद वापस नवजात के साथ बसोली गांव आ गए।
23 सितंबर को गांव में यह कह कर निकले कि अब घर जा रहे हैं। इसके बाद वह बस से सीता कुंड आ गए। यहां सुनसान जगह देखकर नवजात के मुंह में पत्थर ठूंसकर फेविक्विक से होंठ चिपका कर पत्थरों के नीचे दबाकर भाग गए। सभी वित्तौड़गढ़ जिले में अपने मूल गांव आ गए। घटना में बिजौलियां पुलिस थाने के कांस्टेबल सुरेश मीणा को अहम सुराग मिले। इसके बाद जांच को गति दी गई। उन्होंने बताया कि आरोपी युवती व नवजात का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। इसके बाद ही मामले का पूर्ण रूप से खुलासा हो सकेगा।