Rajasthan News : राजस्थान में आंगनबाड़ी केंद्रों की हकीकत जानें। आंगनबाड़ी केंद्रों का किराया बना जी का जंजाल। आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन के किराए में चल रहा है बड़ा खेल। जानें पूरी कहानी।
सुरेश जैन
Rajasthan News : आंगनबाड़ी केन्द्रों का किराया सरकार के नियमों में बंधा है, लेकिन हकीकत में किराया अधिक है। सरकार से मिलने वाली राशि और वास्तविक किराये की राशि के अंतर का भुगतान कौन करता है। इस प्रश्न का जवाब है आंगनबाड़ी केन्द्र में कार्यरत अल्पआय भोगी चुका रहे हैं। वे भी क्या करे, उनकी कोई सुनता ही नहीं। चूंकि आंगनबाड़ी केन्द्र चलाकर उन्हें अपनी जीविका बचानी है इसलिए या तो अपनी ही अंटी ढीली करते हैं या फिर पोषाहार में से कुछ बचाकर उन्हें बेचकर किराया चुकाना पड़ता है।
आंगनबाड़ी केंद्रों का किराया ग्रामीण में 200 से 500 व शहर में 500 से 1000 रुपए सरकार की ओर से दिए जा रहे हैं। शहरी क्षेत्र में एक कमरे का किराया कम से कम 1000 से 1500 रुपए है। प्रदेश में 20197 केंद्र किराए के भवनों में चल रहे हैं।
एक आंगनबाड़ी सहायिका ने कहा कि सरकार 750 रुपए किराया देती है। असली किराया 1200 रुपए है। शेष 450 रुपए हमें अपनी जेब से देने पड़ते हैं। यह राशि सहायिका व कार्यकर्ता मिलकर देते हैं। उसका कहना था कि कुछ पोषाहार बचाकर रखते हैं, जिसे बाजार में बेचकर किराया चुकाते हैं। सरकार ने किराया एक हजार से चार हजार रुपए तक कर रखा है पर हमें राशि बहुत ही कम मिलती है।
किराया बढ़ाने के लिए कार्यकर्ता को पीडब्ल्यूडी इंजीनियर से रिपोर्ट लेनी होती है। उस आधार पर किराए बढ़ता है।
26,771 केंद्र सरकारी भवन में चल रहे हैं।
20,197 केंद्र किराए के भवन में।
2,216 केंद्र भीलवाड़ा में संचालित।
269 केंद्र किराए के भवन में।
60,945 कार्यकर्ता हैं प्रदेश में।
42,27,485 लोग हो रहे लाभान्वित।
अधिक किराया चाहिए तो किचन, पानी व टॉयलेट के साथ बरामदा होना चाहिए। यह भी पीडब्ल्यूडी इंजीनियर की रिपोर्ट के आधार पर किराया देते हैं। कोई अपनी जेब से किराया दे रहे है तो वह कम राशि वाला कमरा देख ले।
राजकुमारी खोरवाल, उप निदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग भीलवाड़ा
केंद्र का किराया कम मिलता है, लेकिन कोई भी कार्यकर्ता व सहायिका अपनी जेब से राशि नहीं देता है। यह सभी जानते हैं।
रजनी शक्तावत, जिलाध्यक्ष भारतीय आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ