गणना पत्रक जमा कराने की अंतिम तारीख 18 दिसंबर है। मौजूदा रफ्तार को देखते हुए डिजिटाइजेशन का स्तर 92 प्रतिशत से आगे जाना मुश्किल माना जा रहा है। ऐसे में जिले के करीब 8.25% मतदाताओं के नाम नई प्रारूप मतदाता सूची से हटने की आशंका है। यह संख्या 1.07 लाख से अधिक बताई जा रही है।
भिण्ड। एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) में गणना पत्रक भरवाने के लिए एक सप्ताह की अतिरिक्त मोहलत दिए जाने के बावजूद प्रगति बेहद धीमी रही है। 9 से 16 दिसंबर के बीच डिजिटाइजेशन में सिर्फ 0.29 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकी। 10 दिसंबर को जहां प्रगति 91.46% थी, वहीं 17 दिसंबर सुबह तक यह केवल 91.75% तक पहुंच पाई है।
गणना पत्रक जमा कराने की अंतिम तारीख 18 दिसंबर है। मौजूदा रफ्तार को देखते हुए डिजिटाइजेशन का स्तर 92 प्रतिशत से आगे जाना मुश्किल माना जा रहा है। ऐसे में जिले के करीब 8.25% मतदाताओं के नाम नई प्रारूप मतदाता सूची से हटने की आशंका है। यह संख्या 1.07 लाख से अधिक बताई जा रही है।
अधिकारियों का भी मानना है कि दो बार समय बढ़ाने के बाद भी खास सुधार नहीं हुआ, अब केवल दावे-आपत्तियों के जरिए ही आंशिक सुधार संभव हो पाएगा।
एसआईआर के तहत अब भी 20,826 मतदाताओं की मैपिंग नहीं हो सकी है। वहीं वर्ष 2025 की मतदाता सूची के विश्लेषण में सामने आया है कि 5.11% (66,423) मतदाता स्थायी रूप से अन्य क्षेत्रों में बस चुके हैं, लेकिन उनके नाम अभी भी जिले की मतदाता सूची में दर्ज हैं।
जिले में 15,660 मतदाता (1.21%) ऐसे हैं, जो अपने दर्ज पते पर उपलब्ध नहीं मिले। बीएलओ द्वारा कई बार प्रयास के बावजूद इनका सत्यापन नहीं हो सका। आशंका है कि ये मतदाता या तो एसआईआर शुरू होने के बाद पलायन कर गए हैं या फिर नाम फर्जी दर्ज थे।
गणना पत्रकों के डिजिटाइजेशन में भिण्ड विधानसभा सबसे सुस्त साबित हुई है।
ईआरओ स्तर पर प्रभावी मॉनिटरिंग न होने को इस सुस्ती का बड़ा कारण माना जा रहा है।
तीन दिन पहले भोपाल से आए संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आरपीएस जादौन ने गोहद क्षेत्र में मतदान केंद्र स्तर पर एसआईआर प्रक्रिया की समीक्षा की। यह उनका जिले का दूसरा दौरा था। उन्होंने बीएलओ को मतदाता सूची पूरी तरह शुद्ध और त्रुटिरहित तैयार करने के निर्देश दिए।
17 दिसंबर सुबह की स्थिति के अनुसार 1,07,262 मतदाताओं के नाम सूची से हटने की स्थिति बन रही है। हालांकि बीएलओ के पास अभी एक दिन का समय है, लेकिन बड़ी संख्या में गणना पत्रक आने की संभावना बेहद कम मानी जा रही है।