भोपाल

एमपी की पहली एफडीआर रोड को मंजूरी, 11 मील से बंगरसिया तक बनेगी फोरलेन सड़क

MP News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बनेगी राज्य की पहली एफडीआर रोड, राहत की बात ये कि NGT के निर्देश के बाद फोरलेन सड़क बनाने नहीं काटे जाएंगे 1100 पेड़....जल्द शुरू होगा काम...

2 min read
Aug 21, 2025
MP first FDR road approved from 11 mill to bangrasia bhopal(Photo:social media)

MP News: फुल डेप्थ रिक्लेमेशन यानी एफडीआर तकनीक से शहर की पहली रोड़ 11 मील से बंगरसिया तक बनने वाली है। पीडब्ल्यूडी ने इसके लिए 50 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर सड़क बनाने के लिए 1100 पेड़ों की बलि नहीं दी जाएगी। दावा है कि फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक से बनने वाली सड़क ज्यादा टिकाऊ और किफायती होती है।

ये भी पढ़ें

रेस लगा रही स्कूल बस ने बरपाया कहर, भीषण हादसे में दो की मौत

50 करोड़ से फोरलेन में बदलेगी 2 लेन सड़क

इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद शहर की 11 मील से बंगरसिया तक (भोजपुर रोड) 6 किमी सड़क 50 करोड़ रुपए से टू-लेन से फोरलेन में बदलेगी। फोरलेन की जद में करीब 100 पेड़ और आ रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की रोक के बाद इन्हें बचाया जाएगा। भोपाल के पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर संजय मस्के ने बताया कि पेड़ों को बचाते हुए सड़क बनाएंगे। बारिश के बाद सड़क निर्माण शुरू होगा।

मॉडल बनेगी ये सड़क

पीडब्ल्यूडी (PWD) इस रोड को 50 करोड़ से बनाएगा। यह सड़क प्रदेश में एक मॉडल बनेगी। इस सड़क में एफडीआर (फुल डेप्थ रिक्लेमेशन) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। इसका मतलब है कि मौजूदा सड़क के मटेरियल को रीयूज किया जाएगा। एक साल के अंदर सड़क पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगी। हालांकि फोरलेन किनारे कई लोग दुकान और होटलों के लिए पेड़ों की कटाई कर रहे हैं।

भोजपुर जाने जाने वाले होते हैं परेशान

11 मील से बंगरसिया तक की सड़क की हालत काफी खराब है। यह सड़क धार्मिक नगरी भोजपुर को जोड़ती है। हर रोज हजारों लोग इस खराब सड़क से गुजरने के कारण परेशान होते हैं। बारिश के चलते सड़क की स्थिति काफी जर्जर है।

जानें क्या है एफडीआर टेक्नोलॉजी

फुल डेह्रश्वथ रिक्लेमेशन (एफडीआर) एक रिसाइङ्क्षक्लग पद्धति है, जिसमें कम संसाधनों में टिकाऊ सड़कें बनाई जाती हैं। खराब हो चुकी पक्की सड़क को उखाड़कर उससे निकले मटेरियल में केमिकल मिलाया जाता है, जिससे नया मटेरियल तैयार किया जाता है। इसे फिर सड़क निर्माण में उपयोग किया जाता है। इससे लागत भी कम आती है।

ये भी पढ़ें

एमपी के कॉलेज में ‘आदर्श बहू’ की ट्रेनिंग, रिश्तों के बीच मिठास घोल रही अनोखी क्लास

Published on:
21 Aug 2025 09:13 am
Also Read
View All

अगली खबर