MP News: एक मामूली दफ्तरशाही गलती, जिसे पटवारी से लेकर कलेक्टर और संभागायुक्त तक किसी ने नहीं सुधारा, तब शिवप्रताप ने सीएम हेल्पलाइन में दर्ज कराई शिकायत, अफसरों की लापरवाही उजागर..
MP News: अशोकनगर के शिवप्रताप बुंदेला की कहानी अब मप्र के सभी राजस्व अफसरों के लिए सबक बन गई है। उनकी जमीन सरकारी परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई, लेकिन 17.25 लाख रुपए का मुआवजा मिलने में उन्हें पूरे पांच साल लग गए।
वजह, एक मामूली दफ्तरशाही गलती, जिसे पटवारी से लेकर कलेक्टर और संभागायुक्त तक किसी ने नहीं सुधारा। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब शिवप्रताप ने सीएम हेल्पलाइन में अपनी पीड़ा दर्ज कराई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने गुरुवार को यह केस समाधान ऑनलाइन में खुला। जांच में पता चला कि शुरुआती स्तर पर जमीन की फाइल में त्रुटि रह गई थी, और अफसरों ने उसे सुधारने की जिम्मेदारी नहीं निभाई। मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताते हुए तत्काल शिवप्रताप को 17.25 लाख रुपए की राशि दिलाने के निर्देश दिए।
राजस्व मामलों के जानकारों का कहना है कि कई अफसरों को जमीन से जुड़े प्रकरणों का पर्याप्त कानूनी और मैदानी ज्ञान नहीं होता, जिससे ऐसे विवाद खिंचते हैं। अनुभवी अधिकारियों की कमी और निचले स्तर के कर्मचारियों की प्रशिक्षण की कमी भी बड़ी वजह है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि सरकार को ऐसे मामलों में विशेष प्रशिक्षण और अधिकारियों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। राज्य सरकार अब ऐसे सभी मामलों की ऑनलाइन ट्रैकिंग और जिम्मेदारी फिक्स करने की दिशा में काम कर रही है, ताकि जनता को अपने हक के लिए सालों तक भटकना न पड़े।
सीएम डॉ. यादव ने इस केस को उदाहरण मानते हुए कहा कि अब प्रदेशभर में भू-अर्जन से जुड़े सभी प्रकरण छह माह में निपटाए जाएंगे, अन्यथा जिम्मेदार अफसरों पर कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पोर्टल खराब था, आइटी में दिक्कत थी… जैसे बहाने अब स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने अफसरों को चेतावनी दी है कि अशोक नगर जैसे मामले दोहराए गए तो जवाबदेही तय होगी। संबंधित पटवारी, आरआइ, तहसीलदार, एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक, जिनकी लापरवाही सामने आएगी, उन पर एक माह के भीतर कार्रवाई होगी।