MP news: प्रोजेक्ट चीता की शुरूआत से ही सवालों से घिरे वन विभाग और सरकार को अब तोड़नी होगी चुप्पी, राज्य सूचना आयोग ने भेजा नोटिस, किया तलब...
MP News: कूनो में चीतों की मौत पर सवाल लगातार उठते रहे हैं। अब नया विवाद सामने आया है। मध्य प्रदेश वन विभाग ने project cheetah की अहम जानकारियां RTI में देने से इनकार कर दिया है। विभाग का कहना है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी संबंधों को प्रभावित कर सकता है। लेकिन विभाग का यह जवाब ही अब किसी के पल्ले नहीं पड़ रहा है। अब एक और सवाल जरूरत बन गया है कि 'एक वन्यजीव संरक्षण परियोजना में ऐसा क्या है, जिसे छिपाना राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन जाए? यही लाजमी सवाल वन विभाग से अब राज्य सूचना आयोग पूछ रहा है। पढ़ें पूरा मामला…
दरअस राजधानी भोपाल के वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दूबे ने RTI में तीन प्रश्न पूछे थे..
1- प्रोजेक्ट से जुड़े पत्र व्यवहार (कौन-कौन से विभाग और विदेशी विशेषज्ञ आपस में क्या बात कर रहे हैं?)
2- नीतिगत फाइलें (फैसले किस आधार पर लिए गए हैं?)
3- बजट और खर्ज (कौन-सा पैसा कहां गया?)
कुल मिलाकर यह उस अंदरूनी कहानी का दस्तावेज था जिसे सरकार ने कभी भी सार्वजनिक नहीं किया। लेकिन वन विभाग ने जवाब में कहा कि... इन जानकारियों के खुलासे से भारत कि विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। और वन विभाग का यही जवाब खुद उसके लिए उलझन का विषय बन गया।
यह वही प्रोजेक्ट चीता है जिसमें- अफ्रीका से चीतों को लाया गया है। करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं और पिछले दो साल में कई चीतों की असमय मौत भी हुई है।
जनता के बीच ये सवाल पहले से ही चर्चा में रहते हैं… कूनो में चीतों को बचाने की योजना आखिर काम क्यों नहीं कर रही है। अब RTI का जवाब न देने से ये शक और गहरा गया है कि या तो प्रबंधन में गंभीर खामियां हैं या कुछ आंकड़े ऐसे हैं, जिन्हें सरकार दिखाना ही नहीं चाहती।
इस पूरे मसले पर राज्य का सूचना आयोग सख्त नजर आ रहा है। आयोगन ने वन विभाग के पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ को शो-कॉज नोटिस जारी कर दिया है। अधिकारी को 12 दिसंबर तक आयोग में पेश होना होगा और बताना होगा कि..
-RTI क्यों रोकी गई?
-राष्ट्रीय सुरक्षा, वाला तर्क किस आधार पर दिया गया है?
-जनता को जानकारी देने से आखिर किसे खतरा हो सकता है?
इससे साफ है कि सूचना आयोग भी समझ रहा है कि जानकारी छिपाने की कोशिश की जा रही है। अगर संतोषजनक जवाब नहीं हुआ तो वन विभाग पर दंडात्मक कार्रवाई से इनकार नहीं किया जा सकता।
project cheetah एक इकोलॉजिकल संरक्षण परियोजना है, कोई सैन्य अभ्यास नहीं है। तो क्या सरकार वन्यजीवों की वास्तविक स्थिति और प्रबंधन की खामियों को छुपाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को ढाल बना रही है?
-1- क्या कूनो में चीतों की मौत की असल वजह छिपाई जा रही है?
-2- RTI पर रोक क्या सरकारी पारदर्शिता अब राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर खत्म की जा रही है?
-3- क्या भारत-अफ्रीकी चीता समझौते के अंदर कोई विवादित शर्ते हैं?
-4- अगर project cheetah सफल है, तो फिर दस्तावेज छिपाने की जरूरत ही नहीं पड़नी चाहिए।
-मैंने जुलाई 2024 में RTI लगाई थी, लेकिन उसका जवाब ऐसा मिला। इसकी सुनवाई राज्य सूचना आयोग में 3 नवंबर को हुई थी। 21 नवंबर को राज्य सूचना आयोग ने आदेश दिया था, लेकिन इसका ऑर्डर कल जारी किया गया है।
-अजय दुबे, RTI एक्टिविस्ट, भोपाल।