भोपाल

सबसे बड़ा अभियान… नर्मदा किनारे से कब्जाधारियों की छुट्टी, अमरकंटक से गुजरात की सीमा तक होगी कार्रवाई

जीवनधारा बचाने सरकार ने 20 साल बाद सबसे बड़ी कार्रवाई शुरू की है। जंगल माफिया, अवैध रिसॉर्ट-मकान और कब्जाधारियों को 5 किमी दायरे से हटाया जाएगा।

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Sep 13, 2025
narmada mafia encroachment cleanup drive amarkantak to gujarat border (photo- सोशल मीडिया)

Mafia Encroachment Cleanup Drive: प्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा की जलधारा (Naramda River) बनाए रखने के लिए 20 साल में पहली बार जंगल माफिया और अतिक्रमणकारियों पर सरकार बड़ी कार्रवाई करने जा रही है। दोनों किनारों से 5 किमी दूर तक माफिया खदेड़े जाएंगे। अतिक्रमणकारियों की भी खैर नहीं। पुख्ता कार्रवाई के लिए सैटेलाइट इमेजनरी का इस्तेमाल होगा। दिसंबर 2005 के बाद कैचमेंट वाला जंगल कब्जाने वालों पर पहले चरण में कार्रवाई होगी।

दूसरे चरण में राजस्व क्षेत्र में अभियान चलेगा। सीएम डॉ. मोहन यादव के निर्देश के बाद वन विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक बर्णवाल ने वन बल प्रमुख वीएन अंबाड़े को निर्देश जारी किए हैं। अतिक्रमण समेत नर्मदा से जुड़े मामलों की सीएम नवंबर में समीक्षा करेंगे। तब तक कार्रवाई हो जाएगी। वन बल प्रमुख अंबाड़े ने बताया कि बारिश थमते ही कार्रवाई होगी। (MP News)

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पहले भी उठ चुकी मांग

नर्मदा मिशन व समर्थ गऊ चिकित्सक केंद्र ने पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शहरी सीमा में नदी के दोनों किनारों से 300 मीटर तक अतिक्रमण हटाने की मांग की थी। तब कोर्ट ने नदी का कैचमेंट व बाढ़ सीमा क्षेत्र तय करने के निर्देश दिए थे। (MP News)

वनों की कटाई से नदी की जलधारा पर विपरीत असर

नर्मदा मध्यप्रदेश में 1312 किलोमीटर की दूरी तय कर अरब सागर में खंभात की खाड़ी में मिल रही है। यह जिन जिलों से होकर बहती है, वहां के दोनों किनारों पर वन क्षेत्र भी पड़ता है। इन क्षेत्रों में कई जगह माफिया ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। हालात यह है कि छोटे स्तर पर रिसॉर्ट, रेस्टोरेंट तक खुल गए हैं। इसके अलावा कुछ लोगों ने कच्चे-पक्के मकान, भी तान दिए हैं। इसके लिए पेड़ों की कटाई की गई, जो कि गर्मी के दिनों में नदी में जल स्तर गिरने की प्रमुख वजहों में से एक है। वन्यप्राणी विशेषज्ञ आरके दीक्षित मानते हैं कि पेड़ न केवल पानी सोखते रहते हैं, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में जड़ों के माध्यम से जल स्तर बनाए रखने में भी मुख्य वाहक होते हैं। वही पानी नर्मदा में प्रवाहित होता है।

एसीएस वन ने भी पत्र में कहा कि नर्मदा ग्लेशियर से नहीं निकलती, बल्कि जलग्रहण क्षेत्र में पाए जाने वाले वनों से वर्ष भर जल प्राप्त कर बहती है। वन मामलों के विशेषज्ञ अनिल गर्ग का कहना है कि जब पेड़ों की कटाई होती है तो नदी की जलधारा पर विपरीत असर पड़ता है, क्योंकि पानी सोखने और जरुरत के समय उसे छोड़ने वाले पेड़ कम होते जा रहे हैं। वनों पर कब्जे इसकी मुख्य वजह हैं।

जल धारा कम हुई तो गहराएगा जल संकट

भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरों समेत कई जिलों में पीने का पानी नर्मदा नदी से लिया जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो नर्मदा के कैचमेंट को संरक्षित नहीं किया तो आने वाले बरसों में जल-संकट गहरा जाएगा। धार्मिक घाटों का वैभव भी फीका पड़ेगा।

शहरी क्षेत्रों में कब्जे से बदल रहा स्वरूप

जंगल ही नहीं, शहरी क्षेत्रों में भी नर्मदा अतिक्रमण की चपेट में है। नदी के किनारे पर कई जिलों में निर्माण हो रहे हैं। ऐसे में जब बाढ़ आती है तो नदी का बहाव क्षेत्र बदल रहा है। किनारों पर ही किसानों के खेत नदी में समा रहे हैं।

अवैध खनन पर एक्शन कब

नर्मदा के कैचमेंट में कब्जे के अलावा दूसरी बड़ी समस्या घाटों व बीच धारा से अवैध रूप से उत्खनन की है। गर्मी में नर्मदापुरम जैसे कई जिलों में ऐसी घटनाएं लगातार सामने आती हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि अवैध उत्खनन ने नदी तंत्र को बर्बाद कर दिया है। इस पर रोक नहीं लगाई तो नर्मदा का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा।

प्रदूषण भी कम नहीं.. नर्मदापुरम में ही बी-ग्रेड हुआ नर्मदा जल

नर्मदापुरम में भी नर्मदा की हालत बेहद खराब है। यहां घरों से निकलने वाला गंदा पानी नालियों के जरिए सीधे नदी में मिल रहा है। इससे नर्मदा जल बी ग्रेड हो गया है। एनजीटी की सख्ती के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने हाल ही में सीवरेज ट्रीटमेंट योजना का निरीक्षण किया। लगभग छह स्थानों से नाले नर्मदा में मिल रहे हैं।

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Published on:
13 Sept 2025 08:48 am
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