Kuno National Park: नामीबिया से भारत लाई गई मादा चीता नभा की कूनो नेशनल पार्क(Kuno National Park) में 12 जुलाई को हुई मौत के पीछे इंसानी लापरवाही सामने आई है।
Kuno National Park: नामीबिया से भारत लाई गई मादा चीता नभा की कूनो नेशनल पार्क(Kuno National Park) में 12 जुलाई को हुई मौत के पीछे इंसानी लापरवाही सामने आई है। नभा शिकार करने में दक्ष नहीं थी। नामीबिया में उसके बचपन का बड़ा हिस्सा इंक्लोजर (बड़े आकार का पिंजरा) में गुजरा था। इसमें वन्यजीवों को जंगली परिवेश का अहसास नहीं होता। वे बाहर से दी जाने वाली डाइट पर जिंदा रहते हैं।
अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे वन्य जीवों का जीवन मानवीय दखल के ईर्द-गिर्द बीतता है। ये वयस्क होने पर खुले जंगल में सरवाईव नहीं कर सकते। यह बात चीता प्रोजेक्ट में शामिल कूनो और दिल्ली के अफसरों को पता थी। इसके बाद भी नभा(Namibia female cheetah Nabha) को बड़े बाड़े में छोड़कर खुद से शिकार के लिए मजबूर किया गया। कुछ दिन पहले ही वह गंभीर घायल हो गई थी। उसका इलाज चल रहा था। मौत के बाद प्रबंधन ने आशंका जताई थी कि संभवत: वह शिकार करते समय घायल हो गई थी।
वन्यप्राणी मामलों के जानकार आरके दीक्षित का कहना है कि मानवीय देखरेख में पली नभा को खुले बाड़े में छोड़ना सही फैसला नहीं था। वे कुछ को छोड़कर चीतों की मौत से जुड़े ज्यादातर मामलों को गंभीर मानते हैं। उनका कहना है कि इन मामलों की स्वतंत्र वन्यप्राणी एजेंसियों से जांच कराई जानी चाहिए। वहीं, वन विभाग के जिम्मेदार चीतों की मौतों का ऑडिट कराने पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। उनका कहना है, विस्तृत पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
नामीबिया से 17 सितंबर 2022 को 8 और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते भारत लाए थे। नामीबिया से लाए चीतों में से 2 ऐसे थे जिन्हें खुले जंगल में नहीं छोड़ा जा सकता। इन्हीं में नभा थी। दोनों को शुरुआत में इंक्लोजर में रखा। लेकिन कूनो में 80 हेक्टेयर में फैले बाड़े में कुछ दिन पहले नभा और अन्य चीतों को छोड़ दिया। यहां उसे खुद शिकार करना था। एक सीनियर अफसर ने बताया, दोनों चीतों के जीवन का बड़ा हिस्सा बाड़े में बीता, उन्हें बाड़े में छोड़ दिया, इसलिए शिकार करते घायल हुई और मौत हुई। बता दें, अभी 26 चीते जीवित हैं, 9 वयस्क-17 शावक हैं। इनमें से 16 चीते खुले जंगल में हैं, जबकि 10 बाड़े में हैं। 9 वयस्क चीतों व 7 शावकों की मौत हो चुकी है।
यदि किसी वन्यप्राणी के बचपन का जीवन बाड़े में बीता हो तो उसे हमेशा बाड़े में ही रखा जाना चाहिए, खुले जंगल में छोड़कर खुद से शिकार के लिए विवश नहीं किया जा सकता।