Tigers Crisis In Tiger State : टाइगर स्टेट की उपाधि रखने वाले राज्य मध्य प्रदेश में सिर्फ इसी साल अबतक 55 बाघों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। खास बात ये है कि, इनमें 36 मामलों में शिकार की आशंका है।
Tigers Crisis In Tiger State : सरकार द्वारा बाघ संरक्षण पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। बावजूद इसके टाइगर स्टेट की उपाधि रखने वाले मध्य प्रदेश में सिर्फ इसी साल अबतक 55 बाघों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। खास बात ये है कि, इनमें 36 मामलों में शिकार की आशंका है। टाइगर स्टेट में इतनी बड़ी तादाद में बाघों की मौत ने वन्यजीव संरक्षण और वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
इधर, वन विभाग इन मौतों को स्वाभाविक बताते हुए तर्क दे रहा है कि, बाघ-शावकों का सर्वाइवल रेट 50 प्रतिशत से भी कम होता है। विभाग का ये भी कहना है कि प्रदेश में मौतों की तुलना में बाघों की कुल संख्या में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, अफसरों का ये तर्क मुख्यमंत्री मोहन यादव को संतुष्ट नहीं कर सका। उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए वन विभाग से इसपर विस्तृत रिपोर्ट मांग ली है।
एमपी में सिर्फ एक साल में हुई बाघों की मौतें अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं। विशेष तौर पर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और उससे सटे इलाकों में बाघों के शिकार की आशंका जताई जा रही है। इसे लेकर वन विभाग ने भी हाई अलर्ट जारी किया है और मैदानी अमले को पूर्व के आदतन शिकारियों के संबंध में जानकारी रखने को कहा गया है।
मध्य प्रदेश के वन बल प्रमुख वीएन अम्बाडे भी लगातार बाघों की मौतों पर सवाल उठाते रहे हैं। माना जा रहा है कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले जिम्मेदार वन अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है। संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए कई बाघों की मौत को पहले हादसा या प्राकृतिक कारण बताया गया, लेकिन अब इन्हें शिकार से जोड़कर देखा जा रहा है।
पिछली बार हुई प्रदेश के बाघों की गणना के दौरान यहां 785 बाघ थे। आगामी वन्यजीव गणना में ये संख्या और बढ़ने का अनुमान जताया जा रहा है। बावजूद इसके बाघों की लगातार मौतों को लेकर वन बल प्रमुख वी.एन अम्बाडे ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि, अब सिर्फ पत्राचार नहीं होगा, बल्कि लापरवाह और जिम्मेदार अफसरों पर सख्त कार्रवाई भी होगी।
वन क्षेत्रों के आसपास मानव आवागमन को नियंत्रित करने और मानव-बाघ द्वंद्व को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने इस साल 145 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दी है। ये योजना वित्तीय वर्ष 2025-26, 2026-27 और 2027-28 में लागू होगी। ये फैसला प्रदेश में बाघों की संख्या में हुई तेज बढ़ोतरी मद्देनजर रखते हुए लिया गया है। साल 2018 में मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या 526 थी, जबकि पिछले गणऩा के अनुसार ये बढ़कर 785 हो गई है।
मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक सुभरंजन सेन का कहना है कि, बाघों का सर्वाइवल रेट 50 प्रतिशत से भी कम होता है। रही शिकार की बात तो इसकी आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। हमने हाई अलर्ट जारी किया है। शिकारियों की धरपकड़ भी की जा रही है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय शिकारियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल भेजा गया है।