Teachers day Special: गांव वालों के बीच मददगार गुरुजी के नाम से भी जाने जाते हैं क्योंकि गांव वालों का सारा सरकारी काम वे ही करवाते हैं। वे अब तक 100 से ज्यादा जाति प्रमाणपत्र बनवा चुके हैं। साथ ही 40 बच्चों का दाखिला ब्लॉक मुख्यालय में करवा चुके हैं।
मो. इरशाद खान Bijapur News: जिले के भोपालपट्टनम ब्लॉक से 165 किमी दूर धुर नक्सल प्रभावित करकावाडा गांव के स्कूल में पदस्थ शिक्षक सुभाष गुर्रम ने अपनी जान की परवाह किए बगैर स्कूल में वापसी की जिद नहीं छोड़ी। जबकि एक बार तो शिक्षा विभाग ने उनका तबादला भी कर दिया लेकिन फिर भी वे वापस लौट आए।
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सुभाष कहते हैं कि अगर उन्होंने बच्चों और गांव वालों का साथ छोड़ दिया तो बच्चों को पढ़ाने शायद ही कोई आए क्योंकि गांव में आज भी नक्सल दहशत बरकरार है। वे गांव वालों के बीच मददगार गुरुजी के नाम से भी जाने जाते हैं क्योंकि गांव वालों का सारा सरकारी काम वे ही करवाते हैं। वे अब तक 100 से ज्यादा जाति प्रमाणपत्र बनवा चुके हैं। साथ ही 40 बच्चों का दाखिला ब्लॉक मुख्यालय में करवा चुके हैं। उनके इस जज्बे को देखते हुए जिला प्रशासन और आदिवासी समाज ने उनका सम्मान किया है।
करकावाड़ा के जिस स्कूल में सुभाष शिक्षक हैं वह प्राइमरी स्कूल है। गांव के लोग अपने बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए ब्लॉक मुख्यालय भोपालपट्टनम भेजने से बचते थे। उनका मानना था कि इससे जुड़ी कागजी कार्रवाई कौन पूरी करेगा लेकिन यह काम भी सुभाष ने अपने जिम्मे लिया और 40 बच्चों का दाखिला ब्लॉक मुख्यालय के आश्रम में करवाया।