Bijnor Leopard Attack: यूपी के बिजनौर में तेंदुए ने मां के सामने 8 साल के मासूम को मौत के घाट उतार दिया। घटना के बाद ग्रामीणों और भाकियू कार्यकर्ताओं ने हाईवे जाम कर वन विभाग के खिलाफ कड़ा प्रदर्शन किया। अब तक जिले में गुलदार के हमलों से 33 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
Bijnor Leopard Attack News: बिजनौर जिले के नजीबाबाद थाना क्षेत्र के बडिया गांव में मंगलवार शाम उस समय दिल दहला देने वाली घटना हुई, जब तेंदुआ (गुलदार) ने घर के बाहर पानी भर रही मां के सामने उसके 8 साल के बेटे हर्ष पर हमला कर दिया। मां की चीखें पूरे गांव में गूंज उठीं, लेकिन जब तक लोग मदद के लिए दौड़ते, गुलदार मासूम को खींचकर खेतों की ओर ले जा चुका था।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शाम करीब 7:30 बजे हर्ष अपनी मां के साथ घर के पास हैंडपंप से पानी भर रहा था। अचानक गन्ने के खेत से निकले गुलदार ने बच्चे को दबोच लिया और खेत की ओर भाग गया। मां शोर मचाते हुए पीछे दौड़ीं तो ग्रामीण भी जुट गए। दबाव पड़ने पर तेंदुआ कुछ दूरी पर बच्चे को छोड़कर भाग गया। गंभीर हालत में हर्ष को तत्काल समीपुर सीएचसी ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
बेटे की मौत की खबर सुनकर गांव में मातम छा गया। मां अपने बेटे के शव को देखकर बेसुध हो गई और कई बार बेहोश हो गईं। पिता, जो गांव में चक्की चलाते हैं, भी इस दर्दनाक हादसे से टूट गए। परिवार में 10 साल का एक और बेटा है, जो इस घटना के बाद सहमा हुआ है।
गुस्साए ग्रामीणों ने हर्ष का शव लेकर दिल्ली-पौड़ी हाईवे पर जाम लगा दिया। बड़ी संख्या में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के कार्यकर्ता भी मौके पर पहुंच गए और वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी की। ग्रामीणों का आरोप है कि लगातार बढ़ते गुलदार के हमलों के बावजूद विभाग सिर्फ जागरूकता अभियान चला रहा है, जबकि लोगों की सुरक्षा के ठोस इंतजाम नहीं किए जा रहे।
पुलिस टीम मौके पर पहुंची और किसी तरह ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की। अधिकारियों ने पीड़ित परिवार को कार्रवाई का आश्वासन दिया। जानकारी के मुताबिक, बिजनौर ज़िले में अब तक गुलदार के हमलों से 33 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। इसके बावजूद हमले थमने का नाम नहीं ले रहे। ग्रामीणों ने कहा कि अगर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और भयावह हो सकती है।
वन विभाग का कहना है कि गांवों में लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं और टीमों को तैनात किया गया है। लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि इन अभियानों का कोई असर ज़मीनी स्तर पर दिखाई नहीं देता। लोगों की जान रोज़ाना खतरे में है और बच्चों व महिलाओं को घर से बाहर निकलने में डर लगता है।