बीकानेर

Rajasthan : एसआइआर का अनोखा असर, बीएलओ को देख बहुओं को आई मायके की याद

Rajasthan : राजस्थान में एसआइआर कमाल का असर दिखा रहा है। जब बीएलओ किसी घर में पहुंचता है तो बहुओं को अपने मायके की याद आ जाती है। जानें क्यों?

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बज्जू क्षेत्र (बीकानेर) में एसआइआर सत्यापन को लेकर बढ़ती सक्रियता का दृश्य। फोटो पत्रिका

Rajasthan : मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान तकनीकी प्रक्रिया नहीं रहा। अभियान अब बेटियों के पीहर के रिश्तों को भी जोड़ रहा है। शादी के बाद विदा हुई बेटियां अब एसआइआर सत्यापन के लिए अपने पीहर के रिकॉर्ड खोजते हुए एक बार फिर मायके से जुड़ रही हैं। वर्ष 2002 की मतदाता सूची में जिन महिलाओं का नाम नहीं है, उन्हें मायके की पहचान के आधार पर सत्यापित किया जा रहा है। बेटियां अपने माता-पिता से इपिक नंबर, वोटर कार्ड और भाग संख्या जुटा रही है।

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लौट आईं पुरानी यादें

मतदाता सूची 2002 के आधार पर बीएलओ सीधे महिलाओं के नाम शामिल कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद विवाह के कारण स्थान बदलने से पीहर की सूची से मिलान करके ही नाम जोड़े जा रहे हैं। बीएलओ सर्वे के दौरान बेटियां लगातार पूछ रही हैं, मां, मेरी पुरानी वोटर लिस्ट मिल गई क्या? पापा, आपका इपिक नंबर जल्दी भेजो, अभी बीएलओ खड़े हैं। एक तरह से एसआइआर ने पीहर-बेटी के रिश्ते की पुरानी डोर जुड़ रही है।

पुरानी सूची एक क्लिक में उपलब्ध

23 साल पुरानी सूची खोजना एक बड़ी चुनौती थी। इसलिए निर्वाचन विभाग ने सभी पुराने रिकॉर्ड voters. rajasthan. gov. in पर अपलोड कर दिए हैं। अब कोई भी नाम, वार्ड संख्या या भाग संख्या के आधार पर सूची डाउनलोड कर सकता है, जिससे सत्यापन सरल हो गया है।

पीहर से आवश्यक दस्तावेज

1- पीहर की भाग संख्या।
2- माता-पिता का ईपीक नंबर।
3- पीहर का पुराना मतदाता रिकॉर्ड।
4- पारिवारिक संबंध का प्रमाण।

समय सीमा में जमा कराएं एसआइआर फॉर्म

एसआइआर के फॉर्म समय सीमा में जमा कर दें, ताकि आगे कोई परेशानी न आए।
सांवरमल रैगर, उपखंड अधिकारी, बज्जू

ससुराल-पीहर दोनों की जानकारी जरूरी

महिलाओं के सत्यापन के लिए ससुराल और पीहर दोनों की जानकारी जरूरी है। ऐप व बीएलओ की मदद से प्रक्रिया आसान हो गई है।
मदनसिंह यादव, राजस्व तहसीलदार, बज्जू

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Published on:
25 Nov 2025 02:42 pm
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