High Court: दयालबंद में सार्वजनिक आवागमन के रास्ते को कुछ लोगों द्वारा बंद करने पर मंगलवार को जिला प्रशासन ने हाईकोर्ट में कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की।
CG High Court: दयालबंद में सार्वजनिक आवागमन के रास्ते को कुछ लोगों द्वारा बंद करने पर मंगलवार को जिला प्रशासन ने हाईकोर्ट में कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें बताया कि रास्ते में बना निर्माण तोड़ दिया गया है। कोर्ट ने इसका स्थायी समाधान करने के निर्देश दिए हैं ताकि दोबारा कोई इस तरह सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण न कर सके।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में बिलासपुर कलेक्टर को व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत कर बताने के निर्देश दिए कि उन व्यक्तियों के खिलाफ जिला प्रशासन ने क्या कार्रवाई की, जिन्होंने दीवार खड़ी करके फुटपाथ को अवरुद्ध किया। मंगलवार को कलेक्टर की ओर से बताया गया कि आरोपियों द्वारा बनाए गए अवैध निर्माण को तोड़कर रास्ता शुरू करा दिया गया है। अतिक्रमण करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि दयालबंद पुल के नीचे रहने वाले 15 परिवारों के लिए इस्तेमाल होने वाले चिह्नित फुटपाथ को कुछ लोगों ने अवरुद्ध कर दिया। इन लोगों ने पहले उस जगह से लगी ज़मीन खरीदने की कोशिश की थी। विफल रहने पर उन्होंने वहां एक लोहे का गेट और दीवार खड़ी कर दी, जिस पर एक धमकी भरा नोट भी चिपका है कि उस रास्ते से गुजरने वालों को उचित उपचार दिया जाएगा।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने आरोपियों के रवैए और धमकी देने पर कड़ी नाराज़गी व्यक्त की थी। कोर्ट ने टिप्पणी की कि दीवार पर लिखा संदेश वस्तुत: राज्य के अधिकार के लिए एक सीधी चुनौती है, क्योंकि किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं है।
राज्य में खुलेआम चाकुओं की बिक्री के मामले में हाईकोर्ट ने लगातार कार्रवाई के निर्देश देते हुए मामले को मॉनिटरिंग के लिए रखा है। राज्य शासन की ओर से प्रस्तुत आंकड़ों और कार्रवाई की जानकारी देने पर कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन व खुलेआम चाकू बिकना खतरनाक है। बेचने और खरीदने वाले दोनों पर कार्रवाई करें।
उल्लेखनीय है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में इस वर्ष 1 जनवरी से अब तक चाकूबाजी के लगभग 700 मामले दर्ज किए गए हैं। ऑनलाइन खरीदे गए चाकू जब्त किए गए। हाईर्कोअ ने इस पर चिंता जताई। हाईकोर्ट ने ई-कॉमर्स वेबसाइटों के माध्यम से खरीदे गए चाकुओं की खतरनाक संख्या पर चिंता व्यक्त की है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि हालांकि राज्य उपाय कर रहा है, लेकिन कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि ऐसे खतरनाक हथियार खुले बाजारों और ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर न बेचे जाएं। राज्य और उसकी एजेंसियों को अधिक सतर्क रहने और उपरोक्त खतरे को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है, जिससे समाज में शस्त्र अधिनियम से संबंधित अपराध को कम करने में मदद मिले। उल्लेखनीय है कि पान की दुकानों, जनरल स्टोर और उपहार की दुकानों सहित चाकुओं की ऑनलाइन बिक्री पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है।