बिलासपुर

13 साल बाद बड़ी खुशखबरी, 264 करोड़ की लागत से यहां बनेगा अत्याधुनिक आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज भवन, जानें

Good News: प्रदेश का संभाग स्तरीय आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय आखिरकार अपनी जमीन पर कदम रखने जा रहा है। वर्ष 2012 में मान्यता मिलने के बाद से यह कॉलेज अब तक किराए के भवनों में भटकता रहा है।

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Medical College (Photo Source- Patrika)

Good News: प्रदेश का संभाग स्तरीय आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय आखिरकार अपनी जमीन पर कदम रखने जा रहा है। वर्ष 2012 में मान्यता मिलने के बाद से यह कॉलेज अब तक किराए के भवनों में भटकता रहा है। आखिरकार अब दीपावली से पहले रमतला ग्राम की 17 एकड़ जमीन पर भवन निर्माण का भूमि पूजन करने की तैयारी है। शासन ने 264 करोड़ रुपए की लागत से कॉलेज, चिकित्सालय और छात्रावास सहित अन्य सुविधाओं का निर्माण मंजूर किया है। इसमें से 94 करोड़ रुपए की पहली किस्त जारी हो चुकी है।

कॉलेज की शुरुआत सरकंडा स्थित डीपी विप्र कॉलेज के किराए के भवन से हुई थी। वर्ष 2014 से इसका संचालन जूना बिलासपुर स्थित नागोराव शेष विद्यालय में हो रहा है। यहां हर महीने डेढ़ लाख रुपए किराया दिया जा रहा है। 10 साल में यह रकम 1 करोड़ 80 लाख रुपए से ज्यादा पहुंच चुकी है। किराए की बिल्डिंग में पढ़ाई और नॉर्मस की कमी से कई बार मान्यता पर तलवार लटक चुकी है। वर्ष 2015 में तो सीसीआईएम टीम ने अव्यवस्था देख कर मान्यता ही छीन ली थी। इसके बाद अस्थायी इंतजाम कर किसी तरह कॉलेज को मान्यता मिली। तब से हर साल निरीक्षण में कॉलेज को सफाई देनी पड़ रही है।

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छात्रों की परेशानी: कॉलेज जूना में और प्रैक्टिस के लिए अस्पताल 8 किमी दूर

वर्तमान व्यवस्था में सबसे बड़ी समस्या छात्रों को झेलनी पड़ रही है। कॉलेज जूना बिलासपुर में है, जबकि अस्पताल नूतन चौक स्थित जिला आयुर्वेद चिकित्सालय में चल रहा है। दोनों के बीच आठ किलोमीटर की दूरी है। लिहाजा छात्रों को पढ़ाई के बाद प्रैक्टिस के लिए रोजाना आना-जाना पड़ता है। नियम के अनुसार मेडिकल कॉलेज और अस्पताल एक ही कैंपस में होना चाहिए, मगर यहां छात्रों को दो जगह भटकना पड़ रहा है।

17 एकड़ जमीन में बनेगा कैंपस

रमतला की 17 एकड़ जमीन पर बनने वाले नए कैंपस में कॉलेज और चिकित्सालय भवन के साथ ही गर्ल्स-बॉयज हॉस्टल, स्टाफ क्वार्टर, लैब, खेल मैदान और ऑडिटोरियम शामिल होंगे। कैंपस तैयार होने पर पीजी सीटें भी बढ़ाई जाएंगी।

अभी रुम रेंट पर रहकर पढ़ाई

कॉलेज की अपनी बिल्डिंग और हॉस्टल न होने के कारण छात्राओं को सबसे ज्यादा समस्या झेलनी पड़ रही है। हालांकि प्रबंधन ने निजी स्तर पर छात्रावासों की सुविधा बनाई है, पर वहां सरकारी किराया नहीं, बल्कि बाहरी रूम रेंट की तरह किराया देना पड़ रहा है। यही वजह है कि बाहर से आई छात्राओं को खुद किराए पर रहना पड़ रहा है। जबकि नियमानुसार छात्रावास, लैब और स्टाफ क्वार्टर जैसी सुविधाएं कॉलेज परिसर में ही होना चाहिए।

कॉलेज एक नजर में

  • वर्ष 2014 में 60 सीटों के साथ शुरू हुई पढ़ाई, वर्तमान में 75 सीटें
  • वर्ष 2015 में सीसीआईएम टीम ने अव्यवस्था देख मान्यता रद्द कर दी थी
  • अस्थायी इंतजाम कर 2016 में मिली दोबारा मान्यता
  • हर महीने कॉलेज भवन के लिए किराया 1.50 लाख रुपए
  • 10 साल में खर्च क्त्रस्1.80 करोड़ से ज्यादा
  • फिर भी छात्रों को नहीं मिलीं मेडिकल कॉलेज स्तर की सुविधाएं
  • अब भी हर साल निरीक्षण में उठते हैं सवाल

शहर से लगे रमतला ग्राम में आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय के लिए करीब 17 एकड़ जमीन स्वीकृत हुई थी। वहां 264 करोड़ रुपए की लागत से भवन का निर्माण होना है। 94 करोड़ रुपए मिल गए हैं। लिहाजा दिवाली से पहले वहां भूमि पूजन की तैयारी की जा रही है। - प्रो. डॉ. जीआर चतुर्वेदी, प्राचार्य, आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय

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Updated on:
11 Sept 2025 11:36 am
Published on:
11 Sept 2025 11:35 am
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