Bilaspur Train Accident Update: ट्रेन हादसे ने जहां कई जिंदगियां लील ली वहीं कई घायलों को जिंदगी भर का दुख दे दिया है। कई लोग अभी भी डिब्बे के अंदर चीख के बीच मौत से जंग लड़ रहे हैं।
Bilaspur Train Accident: ट्रेन हादसे ने जहां कई जिंदगियां लील ली वहीं कई घायलों को जिंदगी भर का दुख दे दिया है। कई लोग अभी भी डिब्बे के अंदर चीख के बीच मौत से जंग लड़ रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्यो लोको पायलट ने रेड सिग्नल इग्नोर किया था या ट्रेन ओवरस्पीड में थी, जिससे यह घटना हुई। या कोई टेक्निकल खामियां थी। इसके अलावा कोरबा मेमू में रक्षा कवच सिस्टम नहीं था। इसमें ड्राइवर स्पीड कंट्रोल करना या ब्रेक लगाना भूल जाता है तो "कवच" प्रणाली 'ब्रेक इंटरफेस यूनिट' खुद से ट्रेन को कंट्रोल करती है।
हादसे के बाद कोरबा से 16.10 बजे प्रस्थान करने वाली 18517 कोरबा-विशाखापट्टनम एक्सप्रेस 5 घंटे की देरी से रात 21.30 बजे रवाना हुई। इसी तरह 18239 गेवरा रोड-नेताजी सुभाषचंद्र बोस एक्सप्रेस 3 घंटे 30 मिनट देरी और 18114 बिलासपुर-टाटानगर एक्सप्रेस 3 घंटे विलंब से चलने का ऐलान किया है।
भीषण रेल हादसे के बाद जांच अब इस दिशा में केंद्रित हो गई है कि मेमू लोकल ट्रेन ने आखिर सिग्नल क्यों तोड़ा। प्रारंभिक जांच में जो संकेत मिले हैं, वे बताते हैं कि ट्रेन ने निर्धारित सिग्नल पार कर दिया और सामने खड़ी मालगाड़ी के पिछले हिस्से से टकरा गई। यही दुर्घटना की प्रमुख वजह मानी जा रही है।
13 साल पहले तारबाहर रेलवे फाटक पर अक्टूबर 2011 में एक बड़ा ट्रेन हादसा हुआ था, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई थी और 15 घायल हो गए थे। यह हादसा तब हुआ जब लोग बंद रेलवे फाटक को पार कर रहे थे और वे एक के बाद एक 3 ट्रेनों की चपेट में आ गए। मंगलवार को हुए हादसे के बाद लोगों के जेहन में 2011 के हादसे का मंजर भी याद आने लगा।
टक्कर इतनी ज़ोरदार थी कि इंजन ने मालगाड़ी के गार्ड केबिन को चकनाचूर कर दिया और दो बैगनों पर चढ़ गया। सूचना मिलते ही रेलवे और जिला प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और गैस कटर से बोगियों को काटकर यात्रियों के शव व घायल यात्रियों को निकाला गया। अधिकारियों के मुताबिक मृतकों की संख्या 11 और घायलों की संख्या 20 से अधिक बताई गई है।