CG Dog Bite: बिलासपुर और रायपुर में आवारा कुत्तों ने आतंक मचा रखा है। एक दिन में पागल श्वानों ने 8 मासूचा को नोच खाया। इनमें से तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है..
CG Dog Bite: शहर के देवरीखुर्द इलाके में पागल श्वान ने 2 दिन में दर्जनभर लोगों को अपना शिकार बनाया। इसमें 8 मासूमों की हालत गंभीर है। मासूमों इतने बड़े-बड़े जख्म कर दिए है कि हड्डियां नजर आ रही है। 3 बच्चे जिन्हें श्वान ( CG Dog Bite ) ने सिर, हाथ और गले में काटा है, उन्हें गंभीर हालत में उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया है।
CG Dog Bite: श्वान का आतंक केवल देवरीखूर्द ही नहीं पूरे बिलासपुर शहर में है। मोहल्लेवासियों ने बताया कि जिस श्वान ने बच्चों और दर्जनभर लोगों को काटा ( CG Dog Bite case ) है। वो पिछले एक सप्ताह से क्षेत्र में घूम रहा था। कई लोगों को काटा भी लेकिन जब मासूमों को जख्मी किया तब निगम की टीम जागी और शनिवार को क्षेत्र के श्वानों को पकड़ने अभियान चलाते हुए एक दिन में ही 35 श्वान पकड़े। निगम के उपआयुक्त खजांची कुम्हार ने बताया कि पागल श्वान को पकड़कर मार दिया गया है।
CG Dog Bite case in CG: जिला अस्पताल में भर्ती श्वान के हमले से हनी सिंह (2), मिनाक्षी कुमारी (3) और रेयांश वस्त्रकार (4) भर्ती है। हनी के पिता रामलाल ने बताया कि बच्चा जब घर के आंगन में खेल रहा था तभी श्वान ( CG Dog Bite ) ने उस पर हमला कर दिया। बाकि पीड़ित बच्चे भी आसपास के है। उन्हें भी गली में खेलने के दौरान ही श्वान ने काटा है। किसी बच्चे के हाथ और सिर में नोंचा तो किसी के पैर और कंधे को काटा है। बच्चों को 15 से 20 टांके लगे हैं।
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डॉग बाइट के तीन मामले में हाईकोर्ट ने 10-10 लाख रुपए देने का आदेश दिया था। 5 साल पहले रायपुर की 8 वर्षीय दिव्या वर्मा की मौत डॉग बाइट से हो गई थी। ( CG Dog Bite case in Bilaspur ) हाईकोर्ट के आदेश के बाद नेहरू मेडिकल कॉलेज यह मुआवजा दिया। बालोद के खुटेरी में रहने वाले शोभाराम की पत्नी की मौत के बाद हाईकोर्ट ने 10 लाख का मुआवजा देने कहा था। अचानकमार क्षेत्र के 35 वषीय भैयालाल गोड़ भी कुत्ते के काटने के बाद गंभीर हो गए थे। बाद में उनकी मौत हो गई थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अस्पताल में हुए इलाज का खर्च काटकर 6.5 लाख रुपए का चेक दिया गया।
ये मासूम श्वान के शिकार हुए हैं। इनका दर्द इनके माता-पिता और ये मासूम ही समझ सकते हैं। तस्वीरें प्रकाशन योग्य नहीं हैं लेकिन हम इसे प्रकाशित कर रहे हैं क्योंकि प्रशासन की नाकामी का जिंदा सबूत है। ये सबूत है समाज में जागरूकता की कमी का।