Bilaspur High Court: दयालबंद में सार्वजनिक आवागमन के रास्ते को कुछ लोगों द्वारा बंद करने पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमणकारी राज्य को सीधी चुनौती दे रहे हैं।
Bilaspur High Court: दयालबंद में सार्वजनिक आवागमन के रास्ते को कुछ लोगों द्वारा बंद करने पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमणकारी राज्य को सीधी चुनौती दे रहे हैं। कोर्ट ने बिलासपुर कलेक्टर को व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत कर बताने के निर्देश दिए कि उन व्यक्तियों के खिलाफ जिला प्रशासन ने क्या कार्रवाई की, जिन्होंने दीवार खड़ी करके फुटपाथ को अवरुद्ध किया। मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर, 2025 को होगी।
बता दें कि दयालबंद पुल के नीचे रहने वाले 15 परिवारों के लिए इस्तेमाल होने वाले चिह्नित फुटपाथ को कुछ लोगों ने अवरुद्ध कर दिया। इन लोगों ने पहले उक्त स्थल से लगी ज़मीन खरीदने की कोशिश की थी। विफल रहने पर उन्होंने अब वहां एक लोहे का गेट और दीवार खड़ी कर दी, जिस पर एक धमकी भरा नोट भी चिपका है कि उस रास्ते से गुजरने वालों को ’उचित उपचार’ दिया जाएगा। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस बिभू दत्ता गुरु की खंडपीठ ने आरोपियों के रवैए और धमकी देने पर कड़ी नाराज़गी व्यक्त की।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि दीवार पर लिखा संदेश वस्तुत: राज्य के अधिकार के लिए एक सीधी चुनौती है, क्योंकि किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं है।
पुल अवरुद्ध होने से कई परिवारों को काफी असुविधा हो रही है। स्थिति इतनी गंभीर थी कि बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए पुल के नीचे की नदी पार करते समय कंधों पर उठाना पड़ता है। वाहनों को सड़क या दुकानों पर खड़ा करना पड़ता है, क्योंकि नदी के कारण वाहन चलाना मुश्किल है। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि प्रभावित निवासियों की शिकायत के बाद राजस्व विभाग ने निरीक्षण किया और एक पंचनामा तैयार किया, जिसमें पाया गया कि प्रभावित निवासी वर्षों से उक्त फुटपाथ का उपयोग कर रहे थे।