Mount Kilimanjaro: मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। छत्तीसगढ़ की एक ऑटो ड्राइवर की बेटी ने हार नहीं मानी और तमाम मुश्किलों को पीछे छोड़ते हुए पहाड़ को जीत लिया है।
Mount Kilimanjaro: शहर की युवा पर्वतारोही और ऑटो चालक की बेटी निशा यादव ने माउंट किलिमंजारों फतह कर लिया। वहां उन्होंने तिरंगा और पत्रिका का बैनर लहराकर धन्यवाद दिया। किलिमंजारो एयरपोर्ट से निशा यादव ने बताया कि यह चढ़ाई आसान नहीं थी। माइनस 11 डिग्री सेल्सियस में बारिश और तेज हवा के बीच ग्लेशियर पर एक-एक कदम सावधानी से रख रहे थे। इस दौरान के दल के तीन सदस्य बीमार भी पड़ गए लेकिन निशा ने हौसला नहीं छोड़ा और अंतत: 5895 मीटर ऊंचे शिखर को छू लिया।
इस सफलता के लिए मैं पत्रिका और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का धन्यवाद करना चाहती हूं। जिन्होंने मेरे इस सपने को साकार किया। मेरी इस कामयाबी को एक वाक्य में डिफाइन करना हो तो मैं कहना चाहूंगी कि अपने लक्ष्य को हासिल कर मुझे जो संतुष्टि महसूस हुई, वहीं मेरे लिए बड़ी कामयाबी है। माउंट किलिमंजारो पर चढऩा जीवन बदलने वाली यात्रा है जो आपकी सीमाओं को चुनौती देती है, आपके प्रयासों को पुरस्कृत करती है।
Mount Kilimanjaro: दरअसल, निशा ने बताया था कि उन्हें किलिमंजारों की चोटी फतह करना है लेकिन उसकी फीस आड़े रही हैं। निशा को इसके लिए 3.45 लाख रुपए की जरूरत थी। निशा के सपने को पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। पत्रिका पढ़ने के बाद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने निशा यादव को वीडियो कॉल कर फीस की चिंता न करने की बात कही और उन्हें यात्रा की तैयारी करने कहा। इसके आठवें दिन मुख्यमंत्री ने निशा को 3.45 लाख रुपए का चेक उन्हें सौंप दिया था।