Crime News: रात ढाई बजे सुनसान एनएच पर खाकी की करतूत ने जनसेवा के दावे की पोल खोल दी। अंबिकापुर से बिलासपुर जा रहे वाहन को बेलतरा टोल प्लाजा के पास डॉयल-112 की गाड़ी ने रोका। ड्राइवर और उसके साथी को वर्दीधारी ने घुड़कते हुए कहा- चल 2 हजार निकाल, फिर जाना।
Crime News: रात ढाई बजे, सुनसान एनएच…। एक ओर अंधेरा, दूसरी ओर पुलिस की गाड़ी की नीली बत्ती की झिलमिलाहट। तभी खाकी में एक शख्स उतरता है और हाथ के इशारे से वाहन रुकवाता है। अगले आधे घंटे में जो हुआ, उसने ‘जनसेवा में तत्पर पुलिस’ की साख पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। बुधवार रात करीब 2 बजे की बात है। अंबिकापुर से बिलासपुर की ओर अखबार का बंडल लेने बिलासपुर, सिरगिट्टी आ रहे वाहन (पिकअप) को बेलतरा टोल प्लाजा के पास डॉयल-112 की गाड़ी ने रोका।
वाहन में ड्राइवर के साथ राधेश्याम प्रजापति सवार था। डॉयल 112 वाहन से उतरा एक खाकीधारी आरक्षक। आंखों में लालिमा, चाल ढाल ऐसी जैसे मानो एनएच उसकी जागीर हो। उसने घुडक़ते हुए कहा- ‘एनएच पर कैसे आ गए? वह बोला- चल 2 हजार निकाल फिर जाना। राधेश्याम ने कहा कि वह छोटा कर्मचारी है, जेब में नकदी नहीं है।
आरक्षक ने तुरंत कहा- कोई बात नहीं, ऑनलाइन दे दे, मेरे पास समय नहीं है, जल्दी कर। थोड़ी देर की मिन्नत के बाद बात 500 रुपए पर तय हुई। आरक्षक ने खुद मोबाइल से यूपीआई स्कैनर दिखाया और राधेश्याम से 500 रुपए ट्रांसफर कराए। स्कैनर पर नाम दिखा धर्मराज सिंह। रकम भेजने के बाद आरक्षक का चेहरा थोड़ा ढीला पड़ा और उसने वाहन को जाने दिया।
पीड़ित राधेश्याम ने बताया कि दोनों व्यक्ति नशे में धुत थे। उनकी जुबान लडखड़ा रही थी और बीच-बीच में गालीगलौज भी कर रहे थे।
राधेश्याम ने बताया कि स्कैनर पर जो नाम दिखा वह था धर्मराज सिंह। लेकिन कोटा, कोनी और रतनपुर- तीनों थाना क्षेत्रों की पुलिस ने इस नाम के किसी आरक्षक के होने से इंकार किया है। इससे शक गहराता जा रहा है कि यह कोई फर्जी आरक्षक था या फिर किसी अन्य की पहचान का गलत इस्तेमाल किया गया है। हालांकि मोबाइल आरक्षक ने अपना ही दिया था।
इस मामले की सूचना मुझे आपसे मिल रही है। मैं तत्काल तहकीकात करवाती हूं कि धर्मराज’ नाम का आरक्षक किस थाना क्षेत्र से संबंधित है या फिर कोई फर्जी व्यक्ति इस वसूली में शामिल था। इसकी जांच की जाएगी। - अर्चना झा, एएसपी ग्रामीण, बिलासपुर