Bilaspur News: बीजेपी शासन में अब जल्दी ही नए एल्डरमैन की नियुक्ति तय मानी जा रही है, लेकिन अंदरूनी राजनीति इसमें प्रमुख भूमिका निभा रही है। भाजपा में बिलासपुर, बिल्हा, बेलतरा और तखतपुर के विधायक, पूर्व मंत्री और वर्तमान मंत्री अपने-अपने समर्थकों के नाम आगे बढ़ा रहे हैं।
CG News: प्रदेश में कांग्रेस शासनकाल में नियुक्त किए गए मनोनीत पार्षदों (एल्डरमैन) की नियुक्तियां 22 दिसंबर 2023 को निरस्त कर दी गई थीं। इसके बाद 23 माह बीत जाने के बावजूद आज तक बिलासपुर सहित किसी भी निकाय में नई नियुक्ति नहीं हो सकी है। परिणामस्वरूप नगर निगम की सामान्य सभा की बैठकों में केवल वार्डों के पार्षद ही शामिल हो रहे हैं।
बिलासपुर नगर निगम में 11 एल्डरमैन पद स्वीकृत हैं, लेकिन सरकार बदलने के बाद भी अब तक ये पद खाली पड़े हैं। निगम में भाजपा की सत्ता आए 9 माह हो चुके हैं और इस दौरान सामान्य सभा की दो महत्वपूर्ण बैठकें हो चुकी हैं, परंतु दोनों में एल्डरमैन की गैरमौजूदगी महसूस की गई।
राज्यसभा की तर्ज पर निकायों में एल्डरमैन का होना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि ये अनुभव के आधार पर महत्वपूर्ण फैसलों में भागीदारी निभाते हैं। उनकी गैर मौजूदगी बड़े निर्णयों की विश्वसनीयता और सामूहिकता पर सवाल खड़े कर रही है।
बीजेपी शासन में अब जल्दी ही नए एल्डरमैन की नियुक्ति तय मानी जा रही है, लेकिन अंदरूनी राजनीति इसमें प्रमुख भूमिका निभा रही है। भाजपा में बिलासपुर, बिल्हा, बेलतरा और तखतपुर के विधायक, पूर्व मंत्री और वर्तमान मंत्री अपने-अपने समर्थकों के नाम आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसे में अब नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही पार्टी के भीतर खींचतान बढ़ गई है। शहर में उप मुख्यमंत्री, केंद्रीय राज्य मंत्री, चार भाजपा विधायक के क्षेत्र होने के कारण अपने-अपने चहेतों को पद दिलाने जोर लगाने का काम भी शुरू हो गया है।
नगर पालिका विशेष ज्ञान या अनुभव रखने वाले व्यक्ति को राज्य सरकार एल्डरमैन के लिए नामित करती है। राज्य सरकार जब तक चाहेगी, तब तक ये पद पर बने रहेंगे। इनकी भूमिका नगरीय निकाय में पार्षदों के बराबर ही रहती है, लेकिन ये सामान्य सभा में वोट नहीं दे सकते। इन्हें विकास कार्य के लिए पार्षद निधि की तरह ही राशि मिलती है। राज्य सरकार नगर पालिका में 5 हजार, पंचायत में 4 हजार और नगर निगम में 15 हजार रुपए मासिक मानदेय भी देती है।
स्थानीय राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि 11 में से अधिकतर पदों पर भाजपा के पुराने पार्षद, पूर्व एल्डरमैन और संगठन से जुड़े अनुभवी चेहरों की दावेदारी मजबूत है। निकायों में लगभग दो साल से लंबित यह नियुक्ति अब राजनीतिक शक्ति संतुलन का अहम मुद्दा बन गई है। इसमें सभी बड़े नेता अपने चहेतों को एल्डरमैन की जिम्मेदारी दिलाने में लगे हुए हैं।
बिलासपुर नगर निगम में पहले 6 एल्डरमैन होते थे। फिर वार्डों की संख्या 70 हुई तो अब 11 एल्डरमैन होंगे। इसके लिए नाम लेकर शासन को भेज दिया गया है। जल्द ही बिलासपुर सहित प्रदेशभर में एल्डरमैन की नियुक्ति की जाएगी -पूजा विधानी, महापौर नगर निगम बिलासपुर.