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हिन्दू धर्म में शादी होने के बाद भी फेमस एक्ट्रेस का दफनाया गया था पार्थिव शरीर, कैंसर से हार गई थीं जिंदगी की जंग

Nargis Wanted Muslim Burial: सुनील दत्त और नरगिस की लव स्टोरी फिल्म 'मदर इंडिया' के सेट पर शुरू हुई थी। जहां सुनील दत्त ने नरगिस को आग में जलने से बचाया था। फिर दोनों ने शादी कर ली। जब कैंसर से नरगिस की मौत हुई तो हिन्दू परिवार में शादी होने के बावजूद उनको उनको दफनाया गया था। जानिये क्यों?

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Oct 20, 2025
नरगिस दत्त की फोटोज। (फोटो सोर्स: IMDb)

Nargis Wanted Muslim Burial: फिल्म इंडस्ट्री में कई प्रेम कहानियां हुईं जिनकी चर्चा सालों बाद भी होती है। इनमें अमिताभ-रेखा, दिलीप कुमार-मधुबाला के साथ-साथ सुनील दत्त-नरगिस का भी नाम शामिल है। सुनील दत्त और नरगिस की लव स्टोरी फिल्म 'मदर इंडिया' के सेट पर शुरू हुई थी। फिल्म के सेट पर एक सीन के दौरान असली में आग लग गई जिससे सुनील दत्त ने नरगिस को बचाया और वहीं से दोनों की प्रेम कहानी शुरू हुई। दोनों ने इस प्यार को साल 1958 में शादी करके मंजिल दे दी। इनके तीन बच्चे, संजय दत्त, प्रिया दत्त और नम्रता दत्त।

नरगिस दत्त और सुनील दत्त और उनकी फैमिली फोटो। (फोटो सोर्स: X)

सुनील दत्त, नरगिस से इतना प्यार करते थे कि उन्होंने सबके खिलाफ जाकर नरगिस को दफनाया। इस किस्से को इनकी बेटी प्रिया दत्त ने विक्की लालवानी को दिए इंटरव्यू में बताया। कैसे उनकी मां कैंसर की एक लंबी जंग के बाद इस दुनिया को अलविदा कहकर चली गईं। वो समय उनके परिवार के लिए बहुत ही कठिन था। आइए जानते हैं प्रिया दत्त ने किन-किन किस्सों का जिक्र किया है।

नरगिस दत्त और सुनील दत्त की फोटो। (फोटो सोर्स: X)

इन्होंने बताया, ‘मेरी मां जब बीमार हुईं। मेरे पिता पूरी तरह से टूट गए। उन्हें खाने का होश तक नहीं था वो दिन रात सिर्फ सिगरेट पीते रहते थे। वो मां के पास हॉस्पिटल में ही रहते थे। मेरी मां की दो हफ्तों में सात सर्जरी हुईं थीं। इतना ज्यादा खून बह रहा था कि बार-बार उनकी सर्जरी करनी पड़ रही थी। आखिरकार, ऐसी स्थिति बन गई कि उन्हें टेप से बांधना पड़ा क्योंकि टांके नहीं लगाए जा सकते थे। हमने अपने पेरेंट्स को ऐसी स्थिति में देखा था कि हम अचानक ही बड़े हो गए। हम महज 14-15 साल के थे। हमें पापा का भी ध्यान रखना पड़ा कि वो खाना खा रहे हैं या नहीं क्योंकि हम उन्हें खो नहीं सकते थे।‘

फिल्म की रिलीज में देरी नहीं होनी चाहिए

प्रिया ने बताया कि, ये वक्त संजय दत्त के लिए बहुत मुश्किल भरा था क्योंकि वो उनकी पहली फिल्म के प्रीमियर के 3-4 दिन पहले ही हमें छोड़कर चली गईं। उन्होंने कहा, ‘मां ने कहा था कि फिल्म की रिलीज में देरी नहीं होनी चाहिए। वो स्ट्रेचर पर भी फिल्म देखने आएंगी, लेकिन रिलीज के पहले ही उनका निधन हो गया। संजय के लिए ये बहुत दर्दभरा पल था मां उनके करियर की शुरुआत नहीं देख पाईं। रॉकी का प्रीमियर हुआ और हमने पापा के बगल वाली सीट मां के लिए खाली रखी।

इसके आगे उन्होंने बताया, 'मेरी मां के अंतिम संस्कार के लिए मेरे पापा के पास कई जगह से पुजारी आए और उनके लिए प्रार्थना की। उनका कहना था कि आपकी पत्नी ने हिंदू से शादी की इसलिए उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से होना चाहिए, लेकिन मेरी मां की इच्छा थी कि उन्हें दफनाया जाए। इसलिए मेरे पापा ने कहा कि हम उनकी इच्छा के अनुसार ही सब कुछ करेंगे।'

मां की कब्र के बगल में दफनाया गया था नरगिस दत्त का पार्थिव शरीर

प्रिय दत्त कहती हैं, ‘मेरी मां चाहती थीं कि उन्हें उनके पारिवारिक कब्रिस्तान में उनकी मां की कब्र के बगल में दफनाया जाए। उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उन्हें दफनाया गया। हम पापा के साथ हरिद्वार भी गए थे मां की मिट्टी लेकर। उन्हें आग से डर लगता था। इसलिए अंतिम संस्कार की सारी विधियां हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार हुईं। फिर बाद में उन्हें दफनाकर नमाज पढ़ी गई।‘

इन्होंने मीडिया द्वारा पूछे गए सवालों के बारे में भी बताया, उन्होंने कहा,

मदर इंडिया के एक सीन में सुनील दत्त, नरगिस दत्त और राजेंद्र कुमार। (फोटो सोर्स: X)

जब हम उनका पार्थिव शरीर घर लाए, तो वहां बहुत प्रेस था एक व्यक्ति ने मुझसे पूछा कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं। मैंने उस वक्त कुछ कहा होगा तभी पापा हमें एक कमरे में ले गए और कहा कि अगर हमें रोना और चीखना नहीं है, तो हमें अकेले में ऐसा करना चाहिए, लेकिन बाहर हमें अपना संयम बनाए रखना चाहिए।‘

आपको बता दें, नरगिस दत्त का निधन कैंसर की लंबी जंग लड़ने के बाद 3 मई 1981 को मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में हुआ था।

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