mp news: एक साल के अंदर तीसरी बार धार्मिक और सांप्रदायिक विवाद, पुलिस के आला अधिकारी और पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची....।
mp news: मध्यप्रदेश के बुराहनपुर जिले के बिरोदा गांव में एक बार फिर तनाव की स्थिति है। गांव में बने शिव मंदिर में बीती रात असामाजिक तत्वों के द्वारा तोड़फोड़ किए जाने के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। वहीं घटना का पता चलने के बाद भारी संख्या में पुलिस फोर्स गांव में तैनात किया गया है जिससे की सांप्रदायिक घटना न हो। ग्रामीणों का कहना है कि बीते एक साल में ये तीसरी बार है जब गांव में धार्मिक और सांप्रदायिक विवाद की स्थिति बनी है।
बुराहनपुर जिला मुख्यालय से करीब दस किमी दूर बिरोदा गांव में शनिवार की सुबह उस वक्त हड़कंप मच गया जब गांव की महिलाएं शिव मंदिर में पूजा करने के लिए पहुंची। महिलाओं ने देखा कि मंदिर में तोड़फोड़ की गई है और शिवलिंग की पिंडी को निकालकर फेंक दिया गया है और मंदिर में लगे कलश व अन्य सामग्री को तोड़ दिया गया है। असामाजिक तत्वों के द्वारा मंदिर में तोड़फोड़ किए जाने की खबर पूरे गांव में आग की तरह फैली और देखते ही देखते ही कुछ ही देर में लोगों की भीड़ जुट गई। इधर मंदिर में तोड़फोड़ की सूचना मिलते ही पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और एफएसएल व डॉग डॉग स्क्वाड से घटनास्थल की जांच कराई। गांव में तनाव का माहौल देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
गांव के लोगों का कहना है कि एक साल के अंदर ये तीसरी घटना है जब हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है।
पहली घटना- नवंबर 2024 में बिरोदा गांव के सुतारवाड़ी क्षेत्र स्थित एक प्राचीन चबूतरे पर स्वामित्व को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच विवाद हुआ। हिंदू समाज इसे नवनाथ महाराज का स्थान मानकर पूजा करता था और मुस्लिम समाज के लोग पीर की मजार मान कर चादर चढ़ाते थे। तब दोनों पक्षों के बीच पथराव की घटना हुई थी और गांव को छावनी बनाने के बाद प्रशासन ने विवाद को खत्म करने के लिए चबूतरे की फेंसिंग कर उसे अपने आधिपत्य में ले लिया था।
दूसरी घटना- सितंबर 2025 में गणेश विसर्जन के दौरान हनुमान चालीसा पाठ खत्म होने के बाद हिंदू पक्ष पर पथराव किया गया था। इसके बाद भी गांव में तनाव का माहौल बना था और फिर से गांव छावनी में तब्दील हुआ था।
तीसरी घटना- शुक्रवार (28 नवंबर की रात) को अब शिव मंदिर में तोड़फोड़ की ये घटना हुई है। गांव के उपसरपंच प्रदीप महाजन का कहना है कि तीन दिन बाद गांव में सुख, शांति के लिए शांति यज्ञ कराया जाना था। जानबूझकर धर्म विशेष के लोगों ने यह घटना की है, ताकि वह धार्मिक अनुष्ठान नहीं हो पाए।