30 से 40 की उम्र के बीच $7$ ऐसी छिपी हुई आदतें हैं जो आपकी दौलत को धीरे-धीरे खत्म कर देती हैं। इनमें सैलरी से ज़्यादा तेज़ी से लाइफस्टाइल बढ़ाना और केवल बचत को ही संपत्ति बनाना शामिल है, जिससे आप बड़ी गलती किए बिना भी अमीर नहीं बन पाते।
जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, पैसों को लेकर हमारी सोच भी बदलती है. वक्त के साथ हमारे अंदर पैसों को लेकर संजीदगी आती है, क्योंकि जिम्मेदारियां बढ़ती हैं. 30-40 साल की उम्र ऐसी होती है, जब हम काफी बड़े बदलाव होते हुए देखते हैं, जिंदगी के ये दस साल तय करते हैं कि आपकी आने वाली जिंदगी की तस्वीर कैसी होगी. उम्र का ये दशक अक्सर एक वित्तीय मोड़ जैसा महसूस होता है. क्योंकि यही वो दायरा होता है जब आप न तो नौकरी में नए होते हैं और न ही जिम्मेदारियों का अंबार होता है, लेकिन चीजें धीरे-धीरे बढ़ रही होती हैं.
हम में से ज़्यादातर लोग मान लेते हैं कि हालात पूरी तरह से काबू में हैं, खासतौर पर पैसे को लेकर, लेकिन ऐसा होता नहीं है. क्योंकि ये वही समय है जब चुपचाप, छिपी हुई आदतें लंबी अवधि की दौलत को खाना शुरू कर देती हैं। चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन कौशिक ने X पर उन 7 तरह की ट्रैप्स के बारे में बताया है, जिनपर ज़्यादातर लोग तब तक ध्यान नहीं देते हैं, जबतक बहुत देर नहीं हो जाती. ये वो आदते हैं, जिन्हें जानकर आपको लगेगा कि शायद आप भी उसनी जाल में फंस रहे हैं.
कौशिक एक बात साफ साफ कहते हैं कि इस चरण में दौलत आमतौर पर बड़ी गलतियों की वजह से नष्ट नहीं होती है। यह उन रोज़मर्रा के फैसलों के ज़रिए धीरे-धीरे बस फिसल जाती है जो उस समय हम को कोई नुकसान पहुंचाने वाले नहीं लगते हैं।
अपनी पोस्ट में वो लिखते हैं कि ये वो आदत है, जो आपकी सैलरी से भी ज्यादा तेजी से बढ़ती है, सैलरी में एक छोटी सी बढ़ोतरी अक्सर ऐसे अपग्रेड्स की ओर ले जाती है जिनकी लागत उससे भी ज़्यादा होती है, और यह बेमेल लंबी अवधि के तनाव की जड़ बन जाता है। कहने का मतलब ये कि अपनी दौलत गंवाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि जैसे ही आपकी सैलरी बढ़ती है, आप तुरंत अपनी जीवनशैली में बदलाव करने पर उतारू हो जाते हैं, जैसे बड़ी कार लेना या बड़ा घर लेना, महंगी घड़ी या ऐसा कुछ जिससे समाज में आपकी लाइफस्टाइल अपग्रेड दिखे। जबकि आपकी सैलरी उतनी बढ़ी भी नहीं होती।
अक्सर हम लोग बचत को संपत्ति बनाने का जरिया मान लेते हैं. इसी गलती पर कौशिक बताते हैं कि कैसे बहुत से लोग बचत (saving) को वास्तविक दौलत बनाने की गलती मान बैठते हैं। जबकि हर साल निष्क्रिय कैश को महंगाई खा जाती है, इसलिए केवल बचत पर निर्भर रहना चुपचाप वित्तीय प्रगति को रोक देता है। कहने का मतलब ये है कि अगर आप अपने पैसे को बचाकर सिर्फ बैंक अकाउंट या तिजोरी में रखते हैं, तो वो आपको उतना रिटर्न नहीं देगी जिससे आप महंगाई से लड़ सको. जैसे बैंक में FD या बचत खाते में पैसे पड़े रहेंगे तो लंबी अवधि में उन पर कोई खास रिटर्न नहीं मिलेगा. इसलिए वेल्थ क्रिएशन नहीं होगा. इसलिए जरूरी है कि अपने पैसों को उन एसेट्स में निवेश किया जाए जहां रिटर्न ज्यादा मिले.
कौशिक कहते हैं कि क्रेडिट हेल्थ की लोग अनदेखी करते हैं, जबकि इसके असर काफी गंभीर होते हैं. क्रेडिट स्कोर में सिर्फ 100 बेसिस प्वाइं का अंतर भी सालों तक ब्याज लागत को बढ़ा सकता है, जिससे यह सबसे महंगे शांत तरीके से काम करने वाले जालों में से एक बन जाता है। अच्छा क्रेडिट सिर्फ एक वित्तीय विवरण नहीं है; यह लगभग हर बड़ी खरीदारी को प्रभावित करता है।
CA कौशिक कहते है कि उन्होंने इस आयु वर्ग में एक और पैटर्न देखा है, सिस्टम के बजाय इरादों पर जिंदगी को चलाते जाना। लोग निवेश करने, बिलों का समय पर भुगतान करने और लगातार बने रहने का इरादा तो रखते हैं, लेकिन उसे पूरा करना उनके मूड और सुविधा पर निर्भर करता है। कौशिक ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वित्तीय प्रवाह को स्वचालित करने से यह अनिश्चितता दूर हो जाती है और पैसे से जुड़े तनाव में ज़बरदस्त कमी आती है।
हमें पता ही नहीं चलता कि कब हमारे छोटे-छोटे खर्च बड़े लक्ष्यों को दूर कर देते हैं. कौशिक चेतावनी देने के अंदाज में कहते हैं कि हमें छोटे-छोटे खर्चों में कटौती करनी चाहिए, जैसे कॉफ़ी छोड़ना, आपकी कमाने की क्षमता बढ़ाने की तुलना में बहुत कम काम करता है। जबकि कुछ सब्सक्रिप्शन रद्द करने से कुछ हज़ार रुपये बच सकते हैं, नए स्किल्स सीखने या साइड इनकम शुरू करने से मंथली कमाई में कहीं ज़्यादा बढ़ोतरी हो सकती है।
किसी समस्या का हल खोजना हो तो पहले ये मानना होगा कि समस्या है, ये तभी होगा जब आप उस समस्या पर बात करेंगे. पैसे को लेकर भी कुछ ऐसा ही है. कौशिक कहते हैं कि रिश्तों में कई वित्तीय समस्याएं पैसे के बारे में बात नहीं करने की वजह से आती है. बातचीत से बचना, बेमेल उम्मीदें लगाना छिपी हुई चिंताओं को जन्म देता है. वो कहते हैं कि परिवार के भीतर पैसों को लेकर पारदर्शिता के साथ बात होनी चाहिए, जिससे वित्तीय टीमवर्क मजबूत हो सके।
लोग अक्सर वसीयत बनाने, नॉमिनी को सही करने, या पावर ऑफ अटॉर्नी जैसे जरूरी कागज़ात को टालते रहते हैं। यह एक बड़ी गलती है। अगर कुछ अनहोनी हो जाती है, तो आपके परिवार को आपकी बनाई हुई दौलत आसानी से मिल सके, इसके लिए ये कागज़ात तैयार रखना ज़रूरी है। यह आपके परिवार की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। वो लिखते हैं कि सबसे ज़्यादा नज़रअंदाज़ किए जाने वाले क्षेत्रों में से एक है बुनियादी संपत्ति की योजना में देरी करना। नॉमिनीज को अपडेट करने, एक बुनियादी वसीयत लिखने या पावर ऑफ अटॉर्नी बनाने जैसे सरल कदम भी यह सुनिश्चित करते हैं कि जो भी दौलत बनाई गई है वह सुरक्षित रहे और सुलभ हो। वो कहते हैं कि यह अंत की योजना नहीं है, बल्कि यह उन लोगों की सुरक्षा करना है जो मायने रखते हैं।