Diwali Bonus: त्योहारी सीजन के दौरान खासकर दिवाली पर सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को बोनस मिलने की परंपरा है। आइये जानते है कैसे होता है बोनस का कैलकुलेशन।
Diwali Bonus: त्योहारी सीजन के दौरान खासकर दिवाली पर सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को बोनस मिलने की परंपरा है। बोनस एक तरह का वित्तीय लाभ है, जिसे कंपनी अपने कर्मचारियों को उनके काम के प्रदर्शन और कंपनी की मुनाफा स्थिति के आधार पर देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बोनस का कैलकुलेशन कैसे होता है? बोनस देने के पीछे एक तय गणना होती है, जो कानून और कंपनी की नीतियों पर आधारित होती है।
1. बेसिक सैलरी पर आधारित होता है बोनस(Diwali Bonus)
बोनस की गणना आमतौर पर कर्मचारी की बेसिक सैलरी (मूल वेतन) और महंगाई भत्ते (DA) के आधार पर की जाती है। इसमें ग्रॉस सैलरी का हिसाब नहीं होता, जो अन्य भत्तों को शामिल करता है। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹20,000 है और महंगाई भत्ता ₹5,000 है, तो बोनस इन्हीं दोनों को जोड़कर यानी ₹25,000 के आधार पर तय किया जाएगा।
2. बोनस की न्यूनतम और अधिकतम सीमा(Diwali Bonus)
भारत में बोनस के नियमों को नियंत्रित करने वाला कानून 'पेमेन्ट ऑफ बोनस एक्ट, 1965' है। इसके तहत किसी भी कंपनी के कर्मचारियों को साल में कम से कम 8.33% और अधिकतम 20% तक बोनस दिया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई कर्मचारी 12 महीने तक कंपनी के साथ जुड़ा रहा है, तो उसे उसकी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का न्यूनतम 8.33% और अधिकतम 20% तक बोनस मिल सकता है।
3. योग्यता और कार्यकाल का भी होता है ध्यान(Diwali Bonus)
कंपनी में कर्मचारी का कार्यकाल और उसकी योग्यता भी बोनस की आकलन में अहम भूमिका निभाती है। आमतौर पर, बोनस उन्हीं कर्मचारियों को दिया जाता है जो कम से कम 30 दिन तक कंपनी के साथ जुड़े रहे हों। अगर किसी कर्मचारी का कार्यकाल एक साल से कम है, तो उसके बोनस की आकलन उसके कुल काम किए गए दिनों के आधार पर होती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी कर्मचारी ने 6 महीने काम किया है, तो उसे 6 महीने के हिसाब से बोनस मिलेगा।
4. त्योहारी बोनस और परफॉर्मेंस बोनस में अंतर(Diwali Bonus)
अक्सर कर्मचारी त्योहारी बोनस और परफॉर्मेंस बोनस को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन ये दोनों अलग-अलग होते हैं। त्योहारी बोनस कंपनी द्वारा तय समय पर जैसे दिवाली या दशहरा के मौके पर दिया जाता है, जबकि परफॉर्मेंस बोनस कर्मचारी के व्यक्तिगत कार्य प्रदर्शन के आधार पर दिया जाता है। परफॉर्मेंस बोनस पूरी तरह कर्मचारी की उपलब्धियों और कंपनी के लक्ष्यों को पूरा करने पर निर्भर करता है।
5. कंपनी के मुनाफे का असर(Diwali Bonus)
कंपनी का मुनाफा भी बोनस के निर्धारण में एक महत्वपूर्ण कारक है। अगर किसी कंपनी ने उस वित्तीय वर्ष में अच्छा मुनाफा कमाया है, तो कर्मचारियों को अधिक बोनस मिलने की संभावना होती है। दूसरी ओर, अगर कंपनी घाटे में चल रही है, तो बोनस की दर न्यूनतम हो सकती है या कंपनी बोनस देने से इंकार भी कर सकती है। लेकिन सरकारी कर्मचारियों के मामले में यह नियम थोड़े अलग होते हैं, क्योंकि उनके बोनस का निर्धारण सरकार द्वारा तय नीतियों पर आधारित होता है।
बोनस की गणना के लिए औसत वेतन को 30.4 से विभाजित किया जाता है, फिर उसे 30 दिनों से गुणा किया जाता है। इस विधि से बोनस राशि का निर्धारण किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी का मासिक वेतन ₹7,000 है, तो उसकी बोनस राशि का अनुमानित कैलकुलेशन इस तरह होगा:
औसत वेतन (₹7,000) / 30.4 × 30 = ₹6,908
इस प्रक्रिया के अनुसार, उस कर्मचारी का कुल बोनस ₹6,908 के आसपास होगा। यह कैलकुलेशन एक तय फॉर्मूला पर आधारित होती है, जो कर्मचारियों के बोनस की राशि को सही और स्पष्ट रूप से निर्धारित करती है।
Diwali Bonus: जिन दिहाड़ी मजदूरों ने लगातार 3 साल तक एक साल में कम से कम 240 दिन काम किया है, उन्हें इस बोनस का फायदा मिलेगा। यह अमाउंट 1200 रुपए प्रति माह के आधार पर कैलकुलेट किया जाता है।