Health Insurance Tips: हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय पता कर लें कि को-पेमेंट और डिडक्टिबल कितने हैं। ये जितने कम हों, पॉलिसी उतनी बढ़िया रहती है।
Health Insurance: पहली बार हेल्थ पॉलिसी लेते समय लोग अक्सर सिर्फ प्रीमियम देखते हैं। लेकिन प्रीमियम के अलावा ऐसी कई शर्तें होती हैं, जो इलाज की लागत पर सीधे असर डालती हैं। इन शर्तों से कई चीजें तय होती हैं। जैसे- अस्पताल में कमरे के किराए का खर्च और इलाज का खर्च क्लेम से मिलेगा या कैशलेस होगा। इसलिए हेल्थ इंशोरेंस लेने से पहले नियम व शर्तों को ध्यान से पढ़ लेना चाहिए। आज हम आपको 6 ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जो आपको हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय जरूर ध्यान रखनी चाहिए।
आईसीआर वह आंकड़ा है, जो बताता है कि कंपनी ने कुल प्रीमियम में से कितना भाग क्लेम देने में खर्च किया। यानी एक वित्त वर्ष में कंपनी ने जो कुल हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम लिया, उसकी तुलना में कितना क्लेम अमाउंट का भुगतना किया। 70 से 90 फीसदी का आईसीआर अच्छा माना जाता है। यदि आईसीआर अत्यधिक बढ़ा या घटा हुआ हो, तो सतर्क हो जाना चाहिए।
सीएसआर बताता है कि कंपनी ने कितने प्रतिशत क्लेम निपटाए। इससे कंपनी की क्लेम देने की क्षमता और विश्वसनीयता तय की जा सकती है। यदि सीएसआर कम हो, तो माना जा सकता है कि कंपनी ज्यादा क्लेम रिजेक्ट कर देती है। इसलिए अधिक सीएसआर वाली कंपनी से ही पॉलिसी लेनी चाहिए।
कई पॉलिसियों में रूम रेंट कैप होता है, जो रूम रेंट की सीमा तय करता है। यदि अस्पताल का रूम इससे महंगा हो, तो अतिरिक्त भुगतान आपको अपनी जेब से करना होगा। इसलिए पॉलिसी में रूम-रेंट कैप और ICU/OT के अलग नियम जरूर देखें।
को-पेमेन्ट का मतलब है, कुल क्लेम राशि में आपकी हिस्सेदारी, जो फिक्स होती है। इसमें क्लेम का तय भाग आपकी जेब से कटता है। वहीं, डिडक्टिबल वह राशि है जो इलाज के समय आपको पहले खुद भरनी होती है, फिर उसके बाद कंपनी इलाज पर खर्च करती है। अधिक को-पेमेन्ट या डिडक्टिबल वाली पॉलिसी में प्रीमियम तो कम होता है पर इलाज के समय आपको ज्यादा खर्च उठाना पड़ता है।
नेटवर्क हॉस्पिटल में जाकर आप कैशलेस ट्रीटमेंट ले सकते हैं, यानी अस्पताल सीधे कंपनी से बिल भरवाएगा। अगर कोई अस्पताल नेटवर्क में ना हो तो आपको खुद भुगतान करना पड़ता है और बाद में क्लेम का झंझट बढ़ जाता है। इसलिए नेटवर्क जितना बड़ा हो, पॉलिसी उतनी बेहतर होती है।
क्लेम के लिए क्या-क्या दस्तावेज चाहिए और क्लेम पीरियड कितना है यह पहले से समझ लें। पॉलिसी में नो क्लेम बोनस, वारंटियों और वेटिंग पीरियड की शर्तें भी पढ़ लें। सही डॉक्यूमेंट और समय पर सूचना देने से क्लेम जल्दी और आसानी से मिलते हैं।