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भारत-जॉर्डन के रिश्तों में नई बहार: 25,000 करोड़ का कारोबार और PM Modi की कूटनीति कैसे बनेगी किसानों की ‘लाइफलाइन’

India Jordan Relations : भारत और जॉर्डन के बीच 25,000 करोड़ के व्यापारिक रिश्ते और पीएम मोदी की कूटनीति ने देश में फर्टिलाइजर की निर्बाध सप्लाई सुनिश्चित कर दी है। यह साझेदारी न केवल किसानों के लिए संजीवनी है, बल्कि पश्चिम एशिया में भारत की रणनीतिक पकड़ को भी मजबूत बनाती है।

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Dec 15, 2025
भारत और जॉर्डन में पुराने और गहरे हैं रिश्ते। (सांकेतिक फोटो: AI)

India Jordan Relations: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे ने भारत और जॉर्डन के रिश्तों में गर्माहट घोल दी है। पश्चिम एशिया की खुरदरी जिओ पॉलिटिक्स में भारत और जॉर्डन के रिश्ते एक नई इबारत लिख रहे हैं। कभी केवल सामान्य कूटनीतिक रिश्तों तक सीमित रहने वाले ये दोनों देश आज एक-दूसरे के रणनीतिक साझेदार बन चुके हैं। मौजूदा आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत और जॉर्डन के बीच आर्थिक रिश्ते ( India Jordan Trade) नई ऊंचाइयों पर हैं। जानकारी के अनुसार द्विपक्षीय व्यापार लगभग 3 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, जो भारतीय मुद्रा में करीब 25,000 करोड़ रुपये का विशाल आंकड़ा है। इस रिश्ते की अहमियत सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि भारतीय खेतों में लहलहाती फसलों और देश की खाद्य सुरक्षा में छिपी हुई है।

व्यापार का गणित: हम क्या बेचते हैं और क्या खरीदते हैं ?

भारत और जॉर्डन के बीच व्यापार का ढांचा बहुत साफ और पूरक है। ध्यान रहे कि भारत जॉर्डन का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।

भारत का जॉर्डन को निर्यात

भारत अपनी तकनीकी क्षमता और कृषि उपज का लाभ जॉर्डन को देता है। यहां से मुख्य रूप से इंजीनियरिंग का सामान, ऑटोमोटिव पार्ट्स, मशीनरी, चावल जैसा अनाज, फ्रोजन मीट, मसाले और कपड़ा निर्यात किया जाता है।

जॉर्डन से भारत को आयात

आयात के मामले में भारत पूरी तरह से अपनी कृषि जरूरतों पर केंद्रित है। भारत के आयात का सबसे बड़ा हिस्सा फर्टिलाइजर (उर्वरक) और फॉस्फेट का है। जॉर्डन दुनिया में फॉस्फेट के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, इसलिए वहां से पोटाश, रॉक फॉस्फेट और फॉस्फोरिक एसिड भारी मात्रा में भारत आता है।

पीएम मोदी की कूटनीति: किसानों के लिए 'संजीवनी' (PM Modi Jordan Visit)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जॉर्डन दौरे और निरंतर उच्च-स्तरीय संपर्कों ने इस रिश्ते को एक नई दिशा दी है। इसे केवल विदेश नीति की सफलता नहीं, बल्कि भारतीय किसानों के लिए एक 'लाइफलाइन' माना जा रहा है।

फर्टिलाइजर का अभेद्य सुरक्षा किला (Phosphate Fertilizer Supply)

गौरतलब है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां मिट्टी में फास्फोरस की कमी को पूरा करने के लिए डीएपी (DAP) खाद की भारी मांग रहती है। पीएम मोदी की कूटनीति का सबसे बड़ा लक्ष्य जॉर्डन से लंबे समय (Long-term) के लिए रॉक फॉस्फेट और डीएपी की निर्बाध सप्लाई सुनिश्चित करना है।

बिचौलियों की छुट्टी, सही दाम पर खाद

पहले ग्लोबल टेंडर और बिचौलियों के कारण खाद की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार के हिसाब से बहुत ज्यादा हो जाती थीं। मोदी सरकार ने जी-2-जी (सरकार से सरकार) समझौतों पर जोर दिया है। इसका सीधा फायदा यह है कि वैश्विक उथल-पुथल के बावजूद भारत को किफायती दामों पर खाद मिल रही है, जिससे सरकार पर सब्सिडी का बोझ कम हो रहा है और किसानों को समय पर खाद उपलब्ध हो रही है।

दोनों देशों के रिश्तों का इतिहास और बदलता स्वरूप (India Middle East Relations)

भारत और जॉर्डन के रिश्ते रातों-रात नहीं बने हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जैसे नेताओं ने इस नींव को मजबूत किया था। लेकिन, 2018 के बाद से पीएम मोदी और जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय के बीच बनी व्यक्तिगत कैमिस्ट्री ने इसे रणनीतिक साझेदारी में बदल दिया है। जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय भी भारत की क्षमता को पहचानते हैं। उनके दौरों का नतीजा यह रहा है कि आज जॉर्डन के फॉस्फेट उद्योग के लिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा और विश्वसनीय बाजार बन गया है। इफको (IFFCO) जैसी भारतीय कंपनियों ने जॉर्डन में 'जॉर्डन इंडिया फर्टिलाइजर कंपनी' (JIFCO) जैसा जॉइंट वेंचर स्थापित किया है, जो वहां खनन और उत्पादन में निवेश कर रहा है।

भविष्य की राह: कनेक्टिविटी और ऊर्जा सुरक्षा

यह पार्टनरशिप अब केवल खाद और अनाज तक सीमित नहीं है। पीएम मोदी के 'कनेक्टिविटी' और 'ऊर्जा सुरक्षा' के विजन ने सहयोग के नए दरवाजे खोले हैं, मसलन:

IMEC कॉरिडोर: भारत जिस महत्वाकांक्षी 'इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर' (IMEC) पर काम कर रहा है, उसमें जॉर्डन की भौगोलिक स्थिति बेहद अहम है। यह कॉरिडोर भविष्य में वैश्विक व्यापार का नया रूट बनेगा, जिसमें जॉर्डन एक प्रमुख धुरी होगा।

ग्रीन एनर्जी: जॉर्डन के पास सौर ऊर्जा और रिन्यूएबल एनर्जी की अपार संभावनाएं हैं। भारत अब जॉर्डन के साथ मिल कर 'ग्रीन हाइड्रोजन' के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ा रहा है, जो भविष्य की ऊर्जा जरूरतों का जवाब है।

रक्षा और सुरक्षा: पश्चिम एशिया में शांति बनाए रखने के लिए जॉर्डन एक संतुलित आवाज है। भारत और जॉर्डन अब रक्षा सहयोग और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भी कंधे से कंधा मिला कर चल रहे हैं।

एशिया में भारत की मजबूत और निर्णायक उपस्थिति

बहरहाल, भारत और जॉर्डन के रिश्ते अब पारंपरिक 'खरीदार और विक्रेता' के ढांचे से बाहर निकल चुके हैं। अब 25,000 करोड़ का यह कारोबार सिर्फ एक शुरुआत है। जॉर्डन के साथ मजबूत होते रिश्तों का सीधा मतलब भारतीय किसानों के खेतों तक बिना रुकावट खाद का पहुंचना और पश्चिम एशिया में भारत की मजबूत और निर्णायक उपस्थिति है।

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