Indigo Crisis: इंडिगो पर आए इस संकट की वजह एयरलाइंस काफी हद तक खुद है। बताया जा रहा है कि इंडिगो ने नए नियमों के अनुरूप तैयारी नहीं की थी, जिसके चलते पायलट की कमी हो गई।
IndiGo flight cancellations news: देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस इंडिगो मुश्किल दौर से गुजर रही है। इंडिगो की मुश्किल ने उसके यात्रियों को भारी परेशानी में डाल दिया है। एयरलाइंस की कई फ्लाइट रद्द कर दी गई हैं, जबकि अधिकांश देरी के साथ उड़ान भर रही हैं। इसके चलते हवाई अड्डों पर यात्रियों और एयरलाइंस कर्मचारियों के बीच झगड़े की तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं। जिस तरह के हालात हैं, उसे देखकर लगता नहीं है कि इंडिगो की मुश्किलें जल्द खत्म होने वाली हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर इंडिगो इस मुश्किल के भंवर में फंसी कैसी?
पिछले चार दिनों में इंडिगो की एक हजार से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द हुई हैं। दिल्ली, बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है। सैकड़ों की संख्या में यात्री हवाईअड्डों पर फंसे हुए हैं। एयरलाइंस कर्मियों के साथ उनकी तीखी नोकझोंक हो रही है। सरकार भी इस मुद्दे को लेकर गंभीर है। DGCA ने इंडिगो से जल्द से जल्द स्थिति सामान्य करने को कहा है। साथ ही हर 15 दिनों में प्रोग्रेस रिपोर्ट भी मांगी गई है। इंडिगो का कहना है कि ऑपरेशनल चुनौतियों को नजर अंदाज करने के चलते ऐसी ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। इसमें छोटी तकनीकी गड़बड़ी, विंटर शेड्यूल में बदलाव, कंजेशन और मौसम प्रमुख हैं। हालांकि तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी है।
एविएशन एसपर्ट्स का कहना है कि इंडिगो की परेशानी की मूल वजह फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) का अमल में आना है। FDTL में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्रू मेंबर्स और पायलटों को पर्याप्त आराम देने पर जोर दिया गया है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, नए नियमों में 7 दिन काम के बाद लगातार 48 घंटे आराम की बात कही गई है, जबकि पहले यह 36 घंटे था। नाइट लैन्डिंग की संख्या को 6 के बजाए 2 किया गया है। नाइट ऑपरेशन के दौरान 8 घंटे उड़ान की लिमिट तय की गई है। इसके अलावा, नाइट ड्यूटी रात 12 से सुबह 6 तक की गई है।
इन नियमों के चलते बड़ी संख्या में इंडिगो के पायलटों को रेस्ट पर जाना पड़ा है। नए नियमों को 2024 में ही पेश कर दिया गया था, लेकिन एयरलाइंस ने इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने का अनुरोध किया था। इसका पहला चरण जुलाई और दूसरा 1 नवंबर को लागू किया गया। मगर इंडिगो ने इसके अनुरूप तैयारी नहीं की। इंडिगो को पता था कि नए नियमों के चलते बड़ी संख्या में पायलट रेस्ट पर जाएंगे और उसे अतिरिक्त पायलटों की जरूरत पड़ेगी, लेकिन एयरलाइंस ने नई नियुक्तियों में तेजी नहीं दिखाई।
इंडिगो प्रतिदिन 2200 से ज्यादा उड़ानें संचालित करती है, जो एयर इंडिया से दोगुना है। ऐसे में एक छोटी सी चूक बड़ी मुसीबत का सबब बन सकती है और इंडिगो के साथ यही हो रहा है। शुक्रवार को अकेले दिल्ली में इंडिगो की 135 फ्लाइट रद्द हुईं। बेंगलुरू में यह संख्या 50 और हैदराबाद में 92 रही। पूरे देश में महज 48 घंटों में ही 600 से ज्यादा फ्लाइट कैंसिल हुईं। वहीं, पायलट यूनियन का कहना है कि इंडिगो प्रबंधन ने चेतावनियों को नजरअंदाज किया और स्टफिंग रोस्टर तैयार करने में नाकाम रही।
यूनियन का कहना है कि यह जानते हुए भी कि नए नियम आने वाले हैं, हायरिंग पर लंबे समय तक रोक लगाए रखी गई। लागत में कमी के चक्कर में सही रणनीति को अमल में नहीं लाया गया। फेडरेशन ऑफ़ इंडियन पायलट्स का कहना है कि दूसरी एयरलाइंस ने इंडिगो की तुलना में बेहतर तैयारी की है और उन पर नए नियमों का खास असर नहीं पड़ा है। फेडरेशन ने पायलट की उपलब्धता को ध्यान में रखे बिना विंटर शेड्यूल को मंजूरी देने के लिए इंडिगो के साथ ही DGCA की भी आलोचना की है।
कुछ एविएशन एक्सपर्ट्स को यह भी लगता है कि यह माहौल FDTL के नियमों में ढील के लिए जानबूझकर तैयार किया गया है। स्थिति कब तक सामान्य होगी, फिलहाल कुछ कहना मुश्किल है। लेकिन इंडिगो ने ऑपरेशन को पूरी तरह से ठीक करने के लिए 10 फरवरी, 2026 तक का समय मांगा है। साथ ही उसने नुकसान को कम करने के लिए अगले कुछ दिनों तक फ्लाइट्स में कटौती शुरू कर दी है। इंडिगो देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस है और इस तरह के हालात उसके लिए भविष्य में मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।