Money Tips: कुछ लोग सोचते हैं कि रिटायरमेंट के बाद शेयर मार्केट में इन्वेस्ट नहीं करना चाहिए। जबकि यह धारणा सही नहीं है। अगर आप एफडी जैसे सेफ निवेश विकल्पों में ही निवेश करते रह गए, तो महंगाई को मात देना मुश्किल हो जाएगा।
Money Tips: लोगों के मन में पैसों से जुड़े कई मिथक होते हैं। फाइनेंशियल अवेयरनेस के अभाव में ये मिथक काफी नुकसान पहुंचाते हैं। आइए जानते हैं कि ये मिथक कौन-से हैं। ये मिथक इंश्योरेंस, रिटायरमेंट प्लानिंग, आईटीआर, होम लोन या वसीयत से जुड़े हो सकते हैं। हालांकि, भारत में पर्सनल फाइनेंस को लेकर अवेयरनेस धीरे-धीरे बढ़ी है। फिर भी गावों और कस्बों में करोड़ों ऐसे लोग हैं, जिनके मिथक अभी भी नहीं टूटे हैं।
बहुत से लोगों की धारणा है कि हेल्थ इंश्योरेंस तो सीनियर सिटीजंस के लिए होता है, यंग लोगो का इससे क्या काम। यह धारणा बिल्कुल गलत है। 20 या 30 साल की युवावस्था में भी आप एक्सीडेंट्स, इंफेक्शंस और दूसरी लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों के चलते वित्तीय संकट में फंस सकते हैं। इसलिए युवावस्था में भी हेल्थ इंश्योरेंस होना जरूरी है। कम उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस होने का एक फायदा यह है कि प्रीमियम कम लगता है। एक दूसरा फायदा यह है कि कि जब आपको वास्तव में पॉलिसी की जरूरत होगी, तब तक वेटिंग पीरियड भी पूरा हो जाएगा।
कुछ लोगों में ऐसी धारणा है कि रिटायरमेंट के बाद रिस्की इन्वेस्टमेंट नहीं करना चाहिए और शेयर मार्केट में तो बिल्कुल पैसा न लगाएं। यह धारणा सही नहीं है। सिर्फ एफडी के जरिए लंबे समय में बढ़ती महंगाई का मुकाबला नहीं किया जा सकता। अगर आपके निवेश का रिटर्न महंगाई दर से कम है, तो निवेश की वैल्यू कम होती जाती है। ऐसे में निवेश की एक स्मार्ट बकेट स्ट्रैटेजी होनी चाहिए। जिस पैसे की तुरंत जरूरत नहीं है, उसे शेयरों में इन्वेस्ट किया जा सकता है।
कुछ लोग सोचते हैं कि जब टैक्स लायबिलिटी ही नहीं है, तो आईटीआर क्यों फाइल करें। सिर्फ इसलिए आईटीआर फाइल नहीं करना, क्योंकि आपकी टैक्स देनदारी जीरो है, एक गलती हो सकती है। अगर आपके बड़े खर्चे हैं, तो रिटर्न जरूर फाइल करें। इससे आप रिफंड का क्लेम कर सकते हैं या अपने घाटे को कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं।
वसीयत लिखना उम्र की नहीं, बल्कि जिम्मेदारी की बात है। यहां तक कि एसेट्स और डिजिटल वेल्थ वाले यंग अर्नर्स को भी अपने डिपेंडेंट्स को प्रोटेक्ट करने के लिए वसीयत लिखकर रखना चाहिए। इस तरह पैसा और प्रॉपर्टी का स्मूथ ट्रांसफर सुनिश्चित हो सकता है।
लंबे समय से लोगों में यह धारणा बनी हुई है कि टैक्स बचाने के लिए होम लोन जरूरी है। जबकि नए टैक्स रिजीम में डिडक्शंस लिमिटेड हैं। अगर आप प्री-पेमेंट करते हैं, तो इससे आपका ब्याज बचेगा। साथ ही कर्ज जल्दी खत्म हो जाएगा और मन को शांति मिलेगी।