संसदीय स्थायी समिति (शिक्षा) ने अपनी 364वीं रिपोर्ट में सिफारिश की है कि ICSSR से संबद्ध सभी संस्थानों में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए।
केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग की घोषणा कर दी है, लेकिन कुछ कर्मचारी अब भी 7th Pay Commission की बाट जोह रहे हैं। सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लग रहा है लेकिन यह सच है और इसका खुलासा हाल में संपन्न हुए संसद के मॉनसून सत्र में हुआ। सरकार ने बताया कि भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) से संबद्ध अनुसंधान संस्थानों और क्षेत्रीय केंद्रों के कर्मचारी अब भी 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने का इंतजार कर रहे हैं।
राज्यसभा में सांसद जावेद अली खान और नीरज शेखर के सवाल के जवाब में शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने बताया कि देशभर में 24 शोध संस्थान हैं, जिन्हें ICSSR अनुदान देता है। ये संस्थान सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1980, सार्वजनिक न्यास या राज्य विधानमंडल के अधिनियम के तहत बने हैं। इन संस्थानों को 1971 में बने ग्रांट-इन-एड नियमों के तहत मदद दी जाती है, जिन्हें समय-समय पर संशोधित किया जाता है।
मंत्री ने बताया कि संसदीय स्थायी समिति (शिक्षा) ने अपनी 364वीं रिपोर्ट में सिफारिश की है कि ICSSR से संबद्ध सभी संस्थानों और क्षेत्रीय केंद्रों में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए। समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि ऐसे संस्थान स्वयं भी कमाई करने की दिशा में कदम बढ़ाएं और ICSSR से परियोजना-आधारित फंडिंग लें ताकि खर्च से कुछ सार्थक परिणाम मिलें।
हालांकि, वास्तविकता यह है कि अब तक इन संस्थानों में 7वें वेतन आयोग का फायदा कर्मचारियों को नहीं मिल पाया है। मंत्री ने स्वीकार किया कि इस दिशा में ठोस निर्णय लेने के लिए एक समिति का गठन किया गया है, जो ICSSR से संबद्ध संस्थानों और केंद्रों में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों की लागू करने की संभावनाओं की समीक्षा कर रही है।
इस बीच, ICSSR के क्षेत्रीय केंद्रों में भी यही स्थिति बनी हुई है और मामला प्रोसेस में बताया जा रहा है। यानी, सरकार और परिषद के स्तर पर चर्चा तो हो रही है, लेकिन कर्मचारियों को वेतन फायदा कब मिलेगा, यह साफ नहीं है। कर्मचारियों का कहना है कि जब 8वें वेतन आयोग की घोषणा हो चुकी है, ऐसे समय में 7वें वेतन आयोग का इंतजार उनकी आर्थिक स्थिति पर बोझ डाल रहा है। उनका तर्क है कि लंबे समय से वे केंद्र सरकार से जुड़े संस्थानों में कार्यरत हैं और बाकी केंद्रीय कर्मचारियों की तरह वेतन लाभ पाने का हक रखते हैं।