फूड आंत्रप्रेन्योर कवलजीत सिंह अपने एक ऐसे कर्मचारी के पास 70 हजार का आईफोन देखकर हैरान रह गए, जिसकी सैलरी सिर्फ 26 हजार रुपये महीने है। उन्होंने एक्स पर इस बारे में पोस्ट डाली है।
70,000 रुपये का आईफोन खरीदने के लिए आपकी सैलरी कितनी होनी चाहिए? कम से कम इतनी तो होनी चाहिए कि आप घर के सारे खर्चे निकालने के बाद इसकी EMI चुका पाएं। आपको इसके लिए किसी से उधार या पैसों का जुगाड़ न करना पड़े, लेकिन दिल्ली के फूड आंत्रप्रेन्योर कवलजीत सिंह उस वक्त हैरान रह गए, जब उनको ये पता चला कि उनके एक कर्मचारी ने 70,000 रुपये का आईफोन खरीदा है, जबकि उसकी सैलरी फोन की आधी कीमत से भी कम है।
कवलजीत सिंह दिल्ली में कड़क सिंह दा ढाबा और चाइना डोर के को-फाउंडर हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपने एक कर्मचारी के बारे में बताया, जिसकी सैलरी सिर्फ 26,000 रुपये है और इसने 70,000 रुपये का फोन खरीदा, वो भी तब, जब उसका एक परिवार है, जिसमें पत्नी और तीन बच्चे हैं। कवलजीत सिंह इस बात पर हैरान हैं कि पारिवारिक जिम्मेदारियां होने और कम सैलरी होने के बावजूद इस कर्मचारी ने 70,000 रुपये का आईफोन खरीदने को प्राथमिकता दी कैसे?
कवलजीत बताते हैं कि इस कर्मचारी ने डिलिवरी ड्राइवर के तौर पर उनके यहां काम शुरू किया था, लेकिन तरक्की करते करते ये अब लोकल ऑपरेशंस को देखता है। उसने आईफोन खरीदने के लिए कंपनी से एडवांस लिया, उससे डाउन पेमेंट किया और 12 महीने की EMI बनवाई।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर वो लिखते हैं, "मेरे एक ऑपरेशन मैनेजर, जिनकी सैलरी 26 हजार रुपये है, उसने अभी-अभी 70 हजार रुपये का आईफोन खरीदा है। उनकी फाइनेंसिंग योजना: हमारी तरफ से 1 महीने की एडवांस सैलरी। 14 हजार रुपये कैश। 30 हजार रुपये ऑनलाइन फाइनेंसिंग, 12 महीनों के लिए लगभग 3 हजार रुपये मंथली EMI। वैसे, उनके घर पर 3 बच्चे और एक डिपेंडेंट पत्नी है। Mind= Blown"
अब सोशल मीडिया पर जब ये पोस्ट वायरल हुई, तो लोगों ने कर्मचारी की फाइनेंशियल प्लानिंग की तो आलोचन की ही। साथ ही फाउंडर कवलजीत को भी कर्मचारी की कम सैलरी को लेकर खूब खरी-खोटी सुनाई। एक यूजर ने कहा, "मुझे लगता है कि किसी को इस बारे में उसके लिए दखल देने की जरूरत है। उसे एक अच्छे शिक्षित वित्तीय सलाहकार के साथ बैठकर यह समझना चाहिए कि वह क्या कर रहा है। हो सकता है उसने बिना नतीजों को समझे दूसरे लोन भी ले रखे हों।'
एक दूसरे यूजर ने कहा "यार, उसे मैनेजर मत कहो, वह तो रोजाना 1,000 रुपये भी नहीं कमा रहा है। एक राजमिस्त्री इससे ज़्यादा कमाता है।' दूसरे अन्य यूजर ने कहा कि कृपया उसका वेतन बढ़ाएं। आप लोगों को भुगतान करने में बहुत कंजूसी कर रहे हैं।'
कवलजीत ने बताया कि कर्मचारी के पास कोई औपचारिक शिक्षा नहीं है, कोई दूसरी स्किल नहीं है। उसने एक डिलीवरी बॉय के रूप में काम शुरू किया और 2-3 साल के भीतर, अब वो लोकल ऑपरेशंस को संभाल रहा है। उसकी जितनी भी ट्रेनिंग हुई है, उसका खर्च हमने उठाया है।
उन्होंने कहा कि हम कर्मचारी को महीने के 26,000 रुपये सैलरी के तौर पर देते हैं। लेकिन इसके अलावा कर्मचारी को मुफ्त में रहने की जगह और भोजन भी हमारी तरफ से ही दिया जाता है, क्योंकि वो फूड एंड बेवरेज इंडस्ट्री में काम करता है। इन सब खर्चों की लागत भी करीब 20,000 रुपये तक आती है।
सिंह ने सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना करने वालों से कहा कि अगर वे उसे ज़्यादा वेतन दे सकें, तो उसे नौकरी पर रख लें। उन्होंने कहा, "जो कोई भी सोचता है कि वह बेहतर का हकदार है, मुझे दोषी न ठहराएं और उसे नौकरी पर रखे और उसे बेहतर वेतन दे। हम उसी वेतन पैकेज पर बेहतर कोई और व्यक्ति ढूंढ सकते हैं।