क्रिकेट

‘इनको पर्सनैलिटी चाहिए, अच्छा कप्तान नहीं, मैं इसके लायक नहीं…’, अक्षर पटेल का चौंकाने वाला बयान

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट से पहले अक्षर ने इस बात पर चर्चा की कि कैसे अक्सर किसी खिलाड़ी की "पर्सनैलिटी" और "इंग्लिश बोलने की क्षमता" को उसके क्रिकेटिंग कौशल से ज्यादा महत्व दिया जाता है।

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Nov 13, 2025
अक्षर पटेल और हार्दिक पांड्या, भारतीय क्रिकेटर (Photo Credit - IANS)

Axar Patel slams captaincy perceptions: भारतीय स्टार ऑलराउंडर और इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में दिल्ली कैपिटल्स (DC) के कप्तान अक्षर पटेल ने कप्तानी को लेकर एक चौंकाने वाला बयान दिया है। उनका मानना है कि कप्तानी के बारे में लोगों की सोच में कई गलत धारणाएं व्याप्त हैं। वे कहते हैं कि लोग व्यक्तित्व और अंग्रेजी बोलने की क्षमता को ही कप्तानी का मुख्य मापदंड मानते हैं।

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अक्षर ने कप्तानी पर खुलकर बात की

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच से पहले 'द इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में अक्षर ने इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा की। उन्होंने बताया कि अक्सर किसी खिलाड़ी की 'पर्सनैलिटी' और 'अंग्रेजी बोलने की क्षमता' को उसके क्रिकेटिंग कौशल से कहीं अधिक महत्व दिया जाता है।

अक्षर ने कहा, “लोग कहते हैं, ‘अरे, ये कप्तानी के लायक नहीं, इंग्लिश नहीं बोलता। बात कैसे करेगा? ये है, वो है।’ अरे! कप्तान का काम सिर्फ बोलना थोड़े ही है। कप्तान का असली काम है अपने खिलाड़ियों को गहराई से समझना, उनकी ताकत और कमजोरियां जानना और उनसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाना। कप्तान को यह पता होना चाहिए कि उसके पास कौन-कौन से खिलाड़ी हैं, उनसे काम कैसे लेना है और मैच की स्थिति में किसे गेंद सौंपनी है, यही उसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।”

कप्तानी का मतलब सिर्फ अंग्रेजी बोलना नहीं होता

इस बातचीत में अक्षर ने जोर देकर कहा कि कप्तानी भाषा या बाहरी दिखावे की नहीं, बल्कि समझ और टीम से जुड़ाव की बात है। उन्होंने कहा, "एक अच्छे कप्तान की पहचान इस बात से होती है कि वह अपनी टीम को कितनी गहराई से समझता है और उन्हें एकजुट रखता है। लेकिन जब लोग कहते हैं कि ‘पर्सनैलिटी होनी चाहिए’, ‘अच्छी इंग्लिश बोलनी चाहिए’, तो ये सब जनता की अपनी बनाई हुई धारणा है। मैंने इस साल दिल्ली कैपिटल्स की कप्तानी की और काफी तारीफें मिलीं। मुझे लगता है कि जितना ज्यादा ऐसा होगा, समय के साथ सोच बदलती जाएगी।”

अक्षर ने आगे कहा, “लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी। यह सोचना बंद करना होगा कि सिर्फ अच्छी पर्सनैलिटी या अंग्रेजी बोलने वाला ही कप्तान बन सकता है। कप्तानी में भाषा कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।” उनका मानना है कि यह सब मीडिया में दिखाई जाने वाली छवियों और सोशल मीडिया पर बनने वाली धारणाओं का नतीजा है, जिनसे लोग अपनी राय बनाते हैं।

मेरे चेहरे पर दिख जाता है कि मैं गुस्से में हूं

हंसते हुए अक्षर कहते हैं, “मुझे लगता है, ये मेरे चेहरे पर साफ दिख जाता है, कप्तान गुस्से में है या थोड़ा गंभीर है…” उन्होंने आगे बताया, “ये एक बहुत बारीक रेखा है। मैं चाहता हूं कि टीम का माहौल हमेशा दोस्ताना और हल्का-फुल्का रहे, लेकिन कोई भी खिलाड़ी चीजों को हल्के में न ले। किसी को यह न लगे कि कप्तान सिर्फ मजे कर रहा है। मैच जीतने के लिए जो जरूरी है, वह सबसे पहले होना चाहिए। उसके बाद मजे कर सकते हैं। अभी ये फॉर्मूला अच्छा चल रहा है। मेरा मानना है कि जब आप मजे में रहते हैं, तो बेहतर प्रदर्शन करते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “मैं मैदान के अंदर और बाहर दोनों जगह मजे में हूं। मैं वही कर रहा हूं जो मुझे सही लगता है। मैं किसी टेम्पलेट को फॉलो नहीं कर रहा। मैं खुद पर भरोसा करता हूं। कप्तान के रूप में मेरे पास ज्यादा अनुभव नहीं है, लेकिन ऐसा भी नहीं कि हर फैसले के लिए किसी और पर निर्भर हूं। हां, मैं सबकी सुनता हूं, लेकिन जो फैसले लेता हूं, उन पर पूरा भरोसा रखता हूं। क्योंकि आपको खुद पता होना चाहिए कि आप क्या सही कर रहे हैं और कहां गलती हो रही है।”

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