Virat Kohli: बीसीसीआई की फैमिली स्टे पॉलिसी को लेकर विराट कोहली ने असंतोष जाहिर किया है। इसके बाद इस पर बहस शुरू हो गई है। उधर, बीसीसीआई भी नियमों में ढील देने को लेकर विचार कर रहा है।
Virat Kohli and Kapil Dev Reaction on BCCI family stay policy: दिग्गज क्रिकेटर विराट कोहली की ओर से खिलाड़ियों के लिए फैमिली स्टे पॉलिसी में बदलाव किए जाने पर जोर दिए जाने के बाद इसको लेकर भारतीय क्रिकेट में बहस तेज हो गई है। इसी कड़ी में पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव ने भी इस मसले पर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने कहा, यह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का फैसला है, लेकिन मेरा मानना है कि हां, आपको परिवार की जरूरत है। हालाकि आपको हर समय टीम के साथ रहने की भी जरूरत है। हमारे समय में हम खुद से कहते थे, क्रिकेट बोर्ड से नहीं, कि पहले हाफ में हमें क्रिकेट खेलने दें, दूसरे हाफ में परिवार को भी वहां आकर इसका आनंद लेना चाहिए। यह एक मिश्रण होना चाहिए।
हालाकि फैमिली स्टे पॉलिसी में बदलाव तब चर्चा में आया जब विराट कोहली ने इस पर नाखुशी जताई थी। ऐसे में अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) इस पॉलिसी में बदलाव पर विचार करने पर तैयार है। माना जा रहा है कि जो भी खिलाड़ी ऐसा चाहते होंगे कि परिवार और करीबी संबंधी लंबे समय तक उनके साथ दौरे पर रहे तो उन्हें इसके लिए बीसीसीआई से पूर्व अनुमति हासिल करनी होगी।
घरेलू सरजमीं पर टेस्ट सीरीज में न्यूजीलैंड से 3-0 से हार के बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 में मेजबान टीम से भारत को 1-3 की हार मिली थी। इसके चलते भारतीय क्रिकेट टीम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2025 (WTC 2025) की दौड़ से बाहर हो गई थी। ऐसे में बीसीसीआई ने मामले पर संज्ञान लेते हुए खिलाड़ियों के लिए दिशा-निर्देश तय किए। इस दौरान फैमिली स्टे पॉलिसी को लेकर नए नियम लागू किए थे। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के फैमिली स्टे पॉलिसी के नए नियमों के मुताबिक, खिलाड़ी 45 दिनों से अधिक चलने वाली सीरीज या टूर्नामेंट में 14 दिनों तक परिवार को अपने साथ रख सकते हैं। वही, छोटे दौरों के लिए यह सीमा घटाकर सिर्फ 7 दिन कर दी गई है।
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के कॉन्क्लेव में एक सवाल के जवाब में विराट कोहली ने दौर के दौरान परिवारों की मौजूदगी की जोरदार वकालत की थी। उन्होंने फैमिली स्टे पॉलिसी पर असंतोष जताते हुए कहा था कि परिवार खिलाड़ियों के लिए संतुलन लाते हैं, जो मैदान पर मुश्किल दौर से गुजर रहे होते हैं। खिलाड़ी मैदान से अपने कमरे में लौटकर अकेले और उदास नहीं बैठना चाहता। वह सामान्य रहना चाहता है। फिर आप अपने खेल को सही मायने में जिम्मेदारी के रूप में देख सकते हैं।