क्रिकेट

कोच थोड़े ही खेल रहा है… गौतम गंभीर की आलोचना करने वालों को इस पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने दिया करारा जवाब

Robin Uthappa support to Gautam Gambhir: ईडन गार्डन्स की पिच को लेकर गौतम गंभीर की भी काफी आलोचना की जा रही है। इसी बीच पूर्व भारतीय क्रिकेटर रॉबिन उथप्‍पा ने गंभीर का समर्थन करते हुए कहा कि इस हार के लिए कोच को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।

2 min read
Nov 19, 2025
भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर। (फोटो सोर्स: एक्‍स@/BCCI)

Robin Uthappa support to Gautam Gambhir: भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका के पहले टेस्ट मैच में ईडन गार्डन्स की पिच को लेकर क्रिकेट जगत में बहस छिड़ गई है। तीसरे दिन 124 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम बुरी तरह लड़खड़ा गई था। कई लोगों ने सवाल उठाया कि क्या पिच का चयन गलत था? इस शोरगुल के बावजूद मुख्य कोच गौतम गंभीर ने कहा कि टीम को बिल्कुल वैसा ही विकेट मिला जैसा उन्होंने मांगा था। लेकिन, दक्षिण अफ्रीका के स्पिनरों ने 2010 के बाद से भारतीय सरजमीं पर अपनी पहली टेस्ट जीत दर्ज करने के लिए परिस्थितियों का पूरा फायदा उठाया और भारतीय बल्‍लेबाजी क्रम को तहस-नहस कर दिया।

ये भी पढ़ें

IND vs SA: आखिर साई सुदर्शन और ध्रुव जुरेल ने एक-एक पैड बांधकर बल्लेबाजी करने का रिस्क क्‍यों लिया? जानिए पूरी कहानी

'यार, कोच थोड़ा ही अंदर जाकर खेल रहा है'

कोलकाता की पिच को लेकर पूर्व क्रिकेटरों ने अलग-अलग राय व्यक्त की हैं। हरभजन सिंह ने पिच के चुनाव की जमकर आलोचना की, लेकिन रॉबिन उथप्पा ने गंभीर का पुरजोर बचाव करते हुए कहा कि इस हार के लिए कोच को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उथप्पा ने एक यूट्यूब लाइव के दौरान कहा कि यार, कोच थोड़ा ही अंदर जाकर खेल रहा है।

'कोचों की आलोचना करना गलत'

उन्होंने आगे कहा कि कोचों की आलोचना अक्सर व्यापक तस्वीर को नजरअंदाज़ कर देती है। उन्‍होंने बताया कि कैसे पूर्व मुख्य कोच राहुल द्रविड़ को भी गलत तरीके से निशाना बनाया गया था। जिसने 20-30 हजार अंतरराष्ट्रीय रन बनाए हैं, वह ज्‍यादा सम्मान का हकदार है और शीर्ष खिलाड़ियों को ट्रोल करने की प्रवृत्ति दर्शाती है कि कोई भी कितनी आसानी से निशाना बन सकता है।

बताया घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के बीच का अंतर

इसके बाद उथप्पा ने पिच की तैयारी के विषय पर बात की। उन्होंने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के बीच एक गहरे अंतर को उजागर किया। उन्होंने याद किया कि एक समय घरेलू प्रतियोगिताओं में पिच की स्थिति की निगरानी के लिए तटस्थ क्यूरेटर नियुक्त किए जाते थे और अगर कोई मैच दो दिनों के भीतर समाप्त हो जाता था तो ग्राउंड्समैन और एसोसिएशन को फटकार लगाई जाती थी। फिर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ढाई दिनों में समाप्त होने वाले मैच भी अक्सर ऐसी जांच के बिना ही निकल जाते हैं।

इस वजह से संघर्ष कर रहे भारतीय बल्‍लेबाज

उन्होंने कहा कि रणजी ट्रॉफी टीमों को टर्निंग पिचें तैयार करने से हतोत्साहित किया जाता है, जबकि तीसरे और चौथे दिन लगातार टर्निंग पिचें ऐसे बल्लेबाज तैयार करने में मदद करती हैं, जो स्पिन का सामना कर सकें। उथप्पा के अनुसार, भारत की ओर ऐसी पिचें तैयार करने में झिझक के कारण खिलाड़ियों को उच्च-स्तरीय स्पिन खेल की जरूरत वाली परिस्थितियों में संघर्ष करना पड़ता है।

ये भी पढ़ें

IND vs SA, 2nd Test: क्या टेम्बा बावुमा दोहराएंगे इतिहास या टीम इंडिया बचाएगी अपना सम्मान?

Also Read
View All

अगली खबर