भोपाल

भगवान की भक्ति से ही मिलती है तृप्ति

संत हिरदाराम नंगर में आचार्य मृदुल कृष्ण महाराज की श्रीमद् भागवत कथा

2 min read
Oct 04, 2018
Shrimad Bhagwat Katha in bhopal

भोपाल। सांसारिक वस्तुओं से तृ़प्ति नहीं मिल सकती, मनुष्य को वास्तविक तृप्ति चाहिए तो उसे भगवान की शरण में आना ही होगा। भगवान के अलावा किसी चीज में तृप्ति नहीं है। जीव की दूसरी प्यास ही श्रीराधा है क्योंकि भगवान की प्यास ही श्रीराधा है। यह उद्गार बुधवार को संत हिरदाराम नगर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य श्री मृदुल कृष्ण महाराज ने व्यक्त किए।

उन्होंने भगवान की आराधना के बारे में बताते हुए कहा कि यहां-वहां भटकने से कुछ नहीं होगा। जो परमात्मा की भक्ति करता है वही अमर होता है। भगवान उसे अपनी शरण प्रदान करते है। आचार्य ने एक कथा सुनाते हुए कहा कि एक संत अपनी सोने की गिन्नियों को संभालकर रखना चाहता था इस कारण उसने हलवे के साथ एक-एक करके सारी गिन्नियां खा ली और मर गया। इससे अभिप्राय यह है कि व्यक्ति को तृप्त होना चाहिए, दुनिया की मोह-माया को छोडक़र भगवान की भक्ति में ही तृप्ति है। कथा के दूसरे दिन बुधवार को कर्मश्री अध्यक्ष और हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा ने व्यास गांदी की पूजा की।

भागवत को सुनने से मिलता है मोक्ष
मृदुल महाराज ने कहा कि श्रीमद्भाग्वत कथा स्वयं कृष्ण का रूप है। इससे सुनने मात्र से ही भगवान प्रसन्न होते हैं और श्रोता को मोक्ष मिलता है। उन्होंने ज्ञानेश्वर जी और एकनाथ जी की कहानी सुनाते हुए बताया कि ये दोनों तीर्थ पर निकले। ज्ञानेश्वर जी सिद्ध हैं और एकनाथ भक्त है। रास्तें में दोनों को प्यास लगी तो ज्ञानेश्वर जी ने अपनी सिद्धी से जल उत्पन्न किया और एकनाथ जी को दिया। इस पर एकनाथ जी ने कहा कि मेरे प्रभु बांके बिहारी जी के लिए भोजन बनाना है प्रसाद बनाना है। मैं इससे पहले जल ग्रहण नहीं कर सकता। ऐसा कहते हुए एकनाथ जी की आंखों से दो बूंद आंसू सूखे कुंए में गिर गए, इससे पूरा कुआं जल से भर गया। महाराज जी ने कहा कि जिस प्रकार एकनाथ जी बांके बिहारी से प्यार करते है उसी प्रकार हमे सभी से प्रेम करना चाहिए, भगवान की भक्ति करनी चाहिए।

ये भी पढ़ें

राजधानी में जुटीं प्रदेशभर की आशा-ऊषा कार्यकर्ता, सड़क पर ही गुजारी रात

Published on:
04 Oct 2018 05:01 am
Also Read
View All

अगली खबर