Morel River : दौसा व जयपुर जिले में जोरदार बारिश के बाद मोरेल व उसकी सहायक ढूंढ नदी पर बने कई बांध टूटने से मोरेल नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुुरू कर दिया।
लालसोट। दौसा व जयपुर जिले में जोरदार बारिश के बाद मोरेल व उसकी सहायक ढूंढ नदी पर बने कई बांध टूटने से मोरेल नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुुरू कर दिया। लालसोट-कोथून हाइवे पर पुलिया के नीचे मोरेल नदी का जल स्तर 6 फीट के खतरे के निशान को पार करते हुए 6 फीट 3 इंच तक जा पहुंचा है।
मोरेल नदी ने खतरे के निशान को 44 साल बाद पार किया है, इससे पहले सन 1981 में आई बाढ़ के दौरान नदी इस स्तर पर बही थी। बुधवार सुबह मोरेल में पानी का गेज करीब 3 फीट के आस-पास था, लेकिन जयपुर जिले में बारिश के बाद नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया।
नदी करीब 300 मीटर चौड़ाई के पाट में बहने लगी। समेल गांव के पास बने एनिकट के सभी गेट खोलने के बाद भी 3 फीट पानी ओवरफ्लो होकर बहा।
मोरेल नदी के पानी ने समेल व पुराने श्रीमा गांव में बाढ़ के हालात पैदा कर दिए। पुराना श्रीमा तो जलमग्न हो गया, जबकि समेल गांव के दर्जनों घरों में पानी भर गया। इससे ग्रामीण दहशत मेें आ गए। समेल गांव के सभी रास्ते पानी से अवरुद्ध हो गए। ध्यान बाबा का चबूतरा एवं खेत पूरी तरह जलमग्न हो गए है। दूर-दूर तक बस पानी ही पानी दिख रहा है।
ग्रामीण लल्लू मीणा, सियाराम चांदा, विष्णु होदायली, दिनेश रूपपुरा ने बताया कि नदी के पानी से खरीफ की फसलें डूब गई हैं। अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्र में किसानों को उचित मुआवजा दिलाया जाए। ग्रामीणों ने बताया कि चाकसू क्षेत्र के ठिकरिया मीणान, खेजड़ी, झांपदा कलां, त्रिलोकीनाथपुरा में बने कच्चे बांधों समेत दर्जनों तलाई टूट गई। इसकी वजह से मोरेल व ढूंढ नदी में अचानक पानी की आवक बढ़ गई।
मुख्य गांव समेल व नलावाली ढाणी, चरी वाली ढाणी में स्थित घरों के अंदर पानी भर गया है। मुख्य गांव को मंडालिया और नेशनल हाइवे से जोड़ने वाला रास्ता अवरुद्ध हो गया है। गांव में आना-जाना बंद है। वहीं जल संसाधन विभाग ने दो दर्जन गांवों में अलर्ट जारी किया।
समेल गांव के घरों में मोरेल नदी का पानी भरने की सूचना पर मौके उपखण्ड अधिकारी विजेन्द्र कुमार मीना, तहसीलदार सीमा घुणावत एवं झांपदा थानाधिकारी सुनील टांक मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने सहायता व सुरक्षा का भरोसा दिलाया। तहसीलदार ने बताया कि गांव से 10 परिवारों को राजकीय प्राथमिक स्कूल में शिफ्ट किया है। जल स्तर बढने पर अन्य सभी परिवारों को सामुदायिक भवन व विद्यालय में शिफ्ट होने के लिए कहा गया है। प्रभावित परिवारों के लिए भोजन का प्रबंध भी किया है।