देवरिया में कलेक्ट्रेट विभाग समेत कुछ कार्यालयों में ई-आफिस प्रणाली शुरू है, लेकिन कई ऐसे कार्यालय हैं, जहां पत्रावलियों व पत्रों का व्यवहार ई-आफिस के माध्यम से करने की बजाय मैनुअल किया जा रहा है।
जिलाधिकारी देवरिया दिव्या मित्तल ने विभागों में ई-ऑफिस प्रणाली लागू न करने पर कड़ा रुख अख्तियार किया है।उन्होंने जिले के 28 अधिकारियों का वेतन तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश दिया है। यह कार्रवाई सीएम के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद द्वारा मिली जानकारी के बाद की गई है। प्रमुख सचिव ने बताया है कि कई विभाग आंखे मूंदकर अभी भी मैनुअल तरीके से काम कर रहे हैं। DM ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इन अधिकारियों का वेतन तब तक बाधित रहेगा जब तक वे अपने कार्यालयों में ई-ऑफिस प्रणाली से काम नहीं शुरू कर देते हैं, बहरहाल DM के इस कदम से विभागों में हड़कंप मचा हुआ है।
जिन अधिकारियों का का गया है, उनमें अधीक्षण अभियंता विद्युत, अपर पुलिस अधीक्षक, अधीक्षक जिला कारागार, विद्युत वितरण खंड देवरिया, सलेमपुर, गौरीबाजार, बरहज एवं मीटर परीक्षण केंद्र के अधिशासी अभियंता शामिल हैं। एसडीएम सदर, सलेमपुर, रुद्रपुर, भाटपाररानी व बरहज, उपायुक्त उद्योग, प्राचार्य उच्च शिक्षा, प्रधानाचार्य राजकीय पॉलिटेक्निक गौरीबाजार, जिला खादी एवं ग्रामोद्योग अधिकारी, प्रधानाचार्य राजकीय आईटीआई, जिला रेशम अधिकारी, जिला पर्यटन अधिकारी, बाट एवं माप निरीक्षक, जिला सूचना अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी और सभी तहसीलों के तहसीलदार भी इस सूची में हैं।
कलेक्ट्रेट के प्रशासनिक टीवी एमके अधिकारी सुशील श्रीवास्तव ने ई-ऑफिस प्रणाली के लाभ बताए। उनके अनुसार, इस प्रणाली से प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और गति आएगी। किसी भी फाइल की स्थिति और उसके रुकने का कारण एक क्लिक पर पता चल सकेगा, जिससे अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय करना आसान होगा। उन्होंने बताया कि डिजिटल हस्ताक्षर के उपयोग से फाइलें सुरक्षित रहेंगी और उनके नष्ट होने की संभावना कम होगी। ई-ऑफिस प्रणाली से हर विभाग को प्रतिवर्ष पांच से सात लाख रुपये की बचत होगी क्योंकि कागज का उपयोग कम होगा।