Ekadashi Vrat: प्रदोष और एकादशी व्रत का हिंदू धर्म मानने वालों के लिए बड़ा महत्व है। मान्यता है कि हर मनुष्य को इन दो व्रत में से एक का पालन जरूर करना जाहिए। इनके आशीर्वाद से संसार में सुख मिलता है तो मृत्यु के बाद मोक्ष। आइये जानते हैं साल में कितनी एकादशी पड़ती है और एकादशी का महत्व क्या है (importance of Ekadashi)।
पुराणों के व्याख्याकार ब्रह्मज्ञानी श्री सूतजी ने एकादशी व्रत का महत्व बताया है। इसके अनुसार एक दिन नैमिषारण्य में शौनक आदि अट्ठासी हजार (88,000) ऋषियों ने एकत्रित होकर प्रार्थना की- "हे परमज्ञानी सूतजी महाराज! कृपा कर एकादशियों की उत्पत्ति और उनकी महिमा को बताने की कृपा करें।" महर्षियों की प्रार्थना सुन सूतजी बोले- "हे परम तपस्वी महर्षियों! अपने पांचवें अश्वमेध यज्ञ के समय धर्मराज युद्धिष्ठिर ने भी भगवान श्रीकृष्ण से यही प्रश्न किया था। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने जो बात बताई, वही बताता हूं।
इसके अनुसार एक वर्ष में बारह मास होते हैं और एक मास में दो एकादशी होती हैं, इस तरह एक वर्ष में चौबीस (24) एकादशी आती हैं और सभी एकादशी अपने नाम के अनुसार फल देती हैं। वहीं जिस वर्ष में अधिक (लौंद) मास पड़ता है, उस वर्ष में दो एकादशी बढ़ जाती हैं। इस तरह इन दो एकादशियों को मिलाकर एक वर्ष में अधिकतम कुल छब्बीस (26) एकादशी होती हैं। इन एकादशी व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को संसार के सभी सुख मिलते हैं। धन वैभव प्राप्त होता है, संतान तरक्की करती है। वहीं मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।