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शिवलिंग पर जल चढ़ाने जा रहे हैं तो इसका रखें ध्यान, बनने लगेंगे बिगड़े काम

shivling par Jal kaise chadhaye: सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है। इस महीने में शिवजी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं। विशेष रूप से जब भक्त शिवजी का अभिषेक करते हैं। यहां जानिए शिवलिंग पर जल कैसे चढ़ाएं, शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र क्या है ( jalabhishek mantra) ...

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Jul 30, 2024
शिवलिंग पर जल चढ़ाने जा रहे हैं तो इसका रखें ध्यान

Shivling Jalabhishek Niyam: सावन में भगवान शिव की पूजा दुख दर्द से छुटकारे का रामबाण उपाय है। इसमें भगवान शिव का सावन में सोमवार, त्रयोदशी और शिवरात्रि का जलाभिषेक सबसे महत्वपूर्ण है। मान्यता है इस समय मात्र एक लोटा जल से ही भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं और मनोकामना पूरी कर कष्ट से मुक्त कर देते हैं। लेकिन शास्त्रों में भगवान शिव को जल चढ़ाने के नियम बताए गए हैं।

इसके अनुसार भगवान शिव को जल चढ़ाते समय दिशा का ध्यान रखना जरूरी है। मान्यता है कि सही दिशा में खड़े होकर भगवान शिव को जल चढ़ाने से ही वे प्रसन्न होते हैं, गलत तरीके से या गलत दिशा में खड़े होकर भगवान शिव को जल चढ़ाने से वो नाराज भी हो सकते हैं। इसलिए जान लें भगवान शिव को जल चढ़ाते समय किस दिशा में खड़ा होना उन्हें प्रसन्न करेगा।

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शिवलिंग पर जल कैसे चढ़ाएं

भगवान शिव की पूजा में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। भक्त को शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय पूर्व दिशा की ओर मुंह करके शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। पूर्व दिशा को भगवान शिव के लिए मुख्य द्वार माना जाता है। ऐसे में इस दिशा में मुंह करके जल जढ़ाने से महादेव नाराज हो सकते हैं।


शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को जल अर्पित करते समय कभी भी मुंह उत्तर, पूर्व और पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए, क्योंकि इन दिशाओं में भगवान शिव की पीठ, कंधा आदि होता है। इसलिए इन दिशाओं में मुंह करके शिवलिंग पर जल चढ़ाने से शुभ फल प्राप्त नहीं होता। आइये जानते हैं जलाभिषेक के समय किस दिशा में हो भक्त का मुंह ..

  1. शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय भक्त का मुंह हमेशा दक्षिण दिशा में होना चाहिए। इससे पूरा फल मिलता है। ध्यान रखना चाहिए जल चढ़ाते समय यह उत्तर दिशा की ओर से शिवलिंग पर गिरे। इससे भगवान भोलेनाथ जल्द प्रसन्न हो जाते हैं।
  2. जलाभिषेक के लिए सोने, चांदी, पीतल या तांबे के लोटे या मिट्टी के कलश का उपयोग करना चाहिए। हालांकि स्टील, एल्युमिनियम या लोहे के लोटे के उपयोग से दूर रहना बचना चाहिए। क्योंकि ये धातुएं पूजा पाठ में शुभ नहीं मानी जातीं, इनमें शनि राहु का वास माना जाता है।

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3. शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद कभी भी भगवान शिव की पूरी परिक्रमा नहीं करना चाहिए, क्योंकि भगवान शिव को अर्पित किया गया जल लांघना अच्छा नहीं माना जाता है।

4. शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि छोटी धारा के रूप में जल अर्पित करना चाहिए और इस दौरान ऊं नमः शिवाय या नीचे लिखे मंत्र जपते रहना चाहिए।

जल चढ़ाने के लिए विशेष शिव मंत्र

नमः शंभवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।
ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिर्ब्रम्हणोधपतिर्ब्रम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।
तत्पुरषाय विद्म्हे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।।

सोमवार को शिव पूजा की सरल विधि

  1. सबसे पहले गणेश पूजा करें।
  2. गणेश पूजा के बाद शिवलिंग पर तांबे, चांदी या सोने के लोटे से जल चढ़ाएं। या चांदी के लोटे या मिट्टी के कलश से दूध चढ़ाएं।
  3. जल या दूध चढ़ाते समय शिव जी के मंत्रों का जप करें। इस दिन पंचामृत यानी दूध, दही घी शक्कर शहद की व्यवस्था हो सके तो शिवलिंग पर जरूर चढ़ाना चाहिए।

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4. अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल आदि अर्पित करें, मिठाई का भोग लगाएं।

5. धूप-दीप जलाकर आरती करें। भगवान के मंत्रों का जाप करें। शिव मंत्र ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप कर सकते है।

यह उपाय दूर करेगा दरिद्रता

सोमवार रात को एक साफ पात्र में दूध ले लें। इसमें एक चांदी का सिक्का और थोड़ा सा शहद डालें और इस पात्र को चंद्रमा की रोशनी में रखें। अब इसके सामने बैठकर शिवजी के मंत्र ॐ दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय का जाप करें। मंत्र जप के बाद इस दूध को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। इससे आर्थिक तंगी और दरिद्रता दूर होगी।

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