Tulsi Ka Dharmik Mahatva: तुलसी की पूजा हर घर आंगन में होती है, लेकिन भूलवश भी तुलसी का अनादर करने की आपकी छोटी से गलती भगवान विष्णु को नाराज कर देती है। साथ ही इससे तुलसी जी रूठकर सूख जाती हैं। आइये जानते हैं किस गलती से तुलसी जी सूख जाती हैं और इसके क्या नुकसान होते हैं ..
Tulsi Ka Dharmik Mahatva : तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को बहुत प्रिय माना जाता है। मान्यता है कि जिस घर में तुलसी होती है वहां भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए तुलसी के सूखने से विष्णुजी नाराज हो जाते हैं। आइये जानते हैं क्यों सूखती हैं तुलसी और क्या होता है नुकसान
तुलसी को हर दिन शाम को दीपदान करना चाहिए। क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और इसमें माता लक्ष्मी का वास माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी का पौधे सूखना शुभ नहीं होता। ये घटना दुर्भाग्य के आगमन का संकेत माना जाता है। माना जाता है कि घर पर किसी की नजर का सबसे पहला असर आंगन की तुलसी पर ही होता है। यह भी मान्यता है कि तुलसी का पौधा सूखने से भगवान विष्णु के नाराज हो जाते हैं। इससे आर्थिक नुकसान होता है। इसके अलावा घर परिवार में तमाम तरह की विपत्तियों का डेरा हो जाता है। भाग्य रूठ जाता है, हर काम में परेशानी आती है।
मान्यता है कि तुलसी को कभी भी अशुद्ध अवस्था में नहीं छूना चाहिए वर्ना इस अनादर के कारण तुलसी रूठ जाती हैं और ऐसे घर का त्याग कर देती हैं। इसी कारण तुलसी सूख जाती हैं।
इसके अलावा तुलसी के पास गंदे कपड़े नहीं सुखाने चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के पास से चप्पल पहनकर निकलने से भी तुलसी सूख जाती हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार तुलसी को बासी फूल और बासी पानी कभी नहीं चढ़ाना चाहिए। अगर कोई ऐसा करता है तो माता लक्ष्मी नाराज होती हैं। हालांकि अगर आपने तुलसी तोड़कर रखी हो, तो इसे बासी नहीं माना जाता है। इसे कभी अपवित्र या बासी नहीं माना जाता है।
तुलसी के पौधे को ठंडी हवा और पाले से बचाने के लिए किसी ऐसे स्थान पर रखना चाहिए, जहां धूप आती हो और सीधी हवा भी न लगती हो। इस पौधे को किसी झीने कपड़े से ढंक कर रखना चाहिए। तुलसी के पौधे में सर्दी के मौसम में मंजरी ज्यादा निकलती है। इसे समय-समय पर हटाते रहना चाहिए।
तुलसी की जड़ में हल्दी और गंगाजल डालने से तुलसी खराब नहीं होती। इसके अलावा तुलसी के पौधे को जरूरत से ज्यादा जल चढ़ाने से बचें। सिर्फ तब पानी दें जब मिट्टी ऊपर से सूखी लगे। गर्मियों में रोजाना और सर्दियों में हर दो-तीन दिन में पानी देना पर्याप्त होता है।