धर्म-कर्म

Rishyasringa: कौन थे ये महान ऋषि जिनके सिर पर था सींग, अप्सरा से जुड़ा है किस्सा, जानिए रहस्य

Rishyasringa: धार्मिक ग्रंथों में श्रृंगी ऋषि का एक महत्वपूर्ण स्थान है। उनके नाम का संबंध उनके सिर पर उपस्थित हिरण के सींग से है। जो उन्हें अन्य ऋषियों से अलग पहचान दिलाता है। यह विशेषता उनकी तपस्या, संयम और अनोखी शक्तियों का प्रतीक है।

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Nov 27, 2024
Rishyasringa

Rishyasringa: सनातन धर्म में बड़े-बड़े ऋषि, मुनि और साधु-संत पैदा हुए हैं। जिनकी वेशभूषा बड़ी दाढ़ी-मूँछ सिर जटा और श्वेत, पीतांबर और गेरुये रंग के वस्त्रों में दिखती है। जब किसी भी साधु-संत का जिक्र होता है तब हमारे मन में ऐसे ही छवि बनती है। लेकिन क्या आपने कभी ऐसे ऋषि या साधु को देखा या सुना है जिसके सिर पर जटाओं की जगह सींग हो? अगर नहीं सुना तो आज हम आपको बताएंगे ऐसे ही एक महान ऋषि के बारे में जिनके सिर पर सींग था।

ऋषि के सिर पर सींग का रहस्य

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्रृंगी ऋषि विभाण्डक ऋषि तथा अप्सरा उर्वशी के पुत्र थे। एक बार विभाण्डक ऋषि ने इतना कठोर तप किया कि देवतागण में हलचल पैदा हो गई। देवताओं ने उनके तप को भंग करने के लिए उर्वशी को भेजा। मान्यता है कि उर्वशी देवताओं के कहने पर विभाण्डक ऋषि को मोहित करने के लिए उनके तपस्या स्थल पर पहुंची। इसके साथ ही अप्सरा उर्वशी ने ऋषि को अपने जाल में फंसा लिया। अप्सरा को देखकर विभाण्डक मोहित हो गए और दोनों के बीच सम्भोग हो गया।

मान्यता है कि संभोग के बाद उर्वशी गर्ववती हो गई और ऋषि श्रृंगी को जन्म दिया। ऋषि श्रृंगी के माथे पर एक सींग था। यही कारण है कि इनका नाम ऋष्यशृंग पड़ा। ऋष्यशृंग के पैदा होने के तुरन्त बाद उर्वशी का पृथ्वी पर काम समाप्त हो गया। इसके बाद वह स्वर्गलोक के लिए प्रस्थान कर गई। ऋषि विभाण्डक इस धोखे से इतने आहत हुए कि उन्हें नारी जाति से घृणा हो गई।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्रृंगी ऋषि को एक तपस्वी और यज्ञ-विद्या के महान ज्ञाता बताया गया है। उन्होंने ही राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति का यज्ञ कराने में मदद की थी। जिससे राजा दशरथ के घर चार पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। श्रृंगी ऋषि के सिर पर हिरण का सींग उनकी मानसिक शक्ति, अद्वितीय तप का प्रतीक माना जाता है।

Published on:
27 Nov 2024 04:09 pm
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