धौलपुर

122 साल बाद पितृपक्ष में दुर्लभ संयोग, राजस्थान में भी दिखेगा चंद्रग्रहण, जानें राशियों पर क्या पड़ेगा प्रभाव

Effect On Zodiac Signs: पितृपक्ष हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या तक 16 दिनों तक चलते हैं। इन दिनों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य करने के लिए बेहद पवित्र माना जाता है।

2 min read
Sep 02, 2025
फोटो: पत्रिका

September Solar And Lunar Eclipse 2025: पितरों की आत्मा की शांति के लिए मनाया जाने वाला पितृपक्ष इस बार विशेष होने वाले हैं। क्योंकि इस बार एक दुर्लभ खगोलीय संयोग इसके साथ जुड़ा है। 7 सितंबर से प्रारंभ होने वाले पितृपक्ष की शुरुआत इस बार चंद्रग्रहण के साथ होगी तो समापन 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण के साथ होगा। हालांकि सूर्य ग्रहण का असर भारत में नहीं होगा। माना जा रहा है कि ऐसा दुर्लभ संयोग 122 साल बाद आया है।

पितृपक्ष हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या तक 16 दिनों तक चलते हैं। इन दिनों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य करने के लिए बेहद पवित्र माना जाता है। इन दिनों में लोग अपने पितरों का प्रतिदिन तर्पण करते हैं लेकिन जानकारों की मानें तो इस बार बेहद दुलर्भ संयोग इस बार पितृपक्ष पर पड़ने जा रहा है। जो सालों में कभी कभार ही देखने को मिलता है। इस पितृपक्ष दो महत्वपूर्ण ग्रहण घटित होंगे।

ये भी पढ़ें

Ramapir Mela In Pakistan: पाकिस्तान में भी भर रहा बाबा रामदेव का भव्य मेला, पहुंच रहे 2000 से ज्यादा हिन्दू-मुस्लिम भक्त

पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण के साथ और समापन 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण के साथ होगा। माना जा रहा है कि ऐसा संयोग 122 सालों बाद बन रहा है, जो कि बेहद दुर्लभ है। पितृपक्ष की शुरुआत और समाप्ति दोनों ही ग्रहण के साथ होगी। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में इस तरह दो बड़े ग्रहणों का एक साथ आना अत्यंत दुर्लभ योग माना जाता है, जो वर्षों में शायद ही कभी होता है।

राजस्थान समेत संपूर्ण भारत में दृश्य

सात सितंबर को चंद्र ग्रहण का आरंभ रात 9.58 बजे और मोक्ष (समापन) 1.26 बजे होगा। ग्रहण का स्पर्श, मध्य, मोक्ष राजस्थान समेत संपूर्ण भारत में दृश्य होगा। यह ग्रहण शतभिषा नक्षत्र तथा कुंभ राशि पर होगा। भारत के अतिरिक्त इसे पश्चिमी प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, पूर्वी अटलांटिक महासागर, अंटार्कटिका, एशिया, आस्ट्रेलिया, यूरोप आदि में देखा जा सकेगा।

ग्रहण में करें पूजा, पाठ और दान

आचार्य योगेश तिवारी के अनुसार शास्त्रों में कहा गया है कि चंद्रग्रहण में ग्रहण से पूर्व नौ घंटे और सूर्यग्रहण में 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है। इसलिए इस बार चंद्रग्रहण का सूतक 7 सितंबर को 12:57 पर प्रारंभ हो जाएगा। सूतक काल में बाल, वृद्ध, रोगी को छोड़ कर अन्य के लिए खानपान वर्जित बताया गया है। ग्रहण काल में शास्त्रीय वचन अनुसार भोजन निवृत्ति के साथ धार्मिक कृत्य श्राद्ध, दान आदि करना चाहिए।

खगोलीय संयोग डालेगा राशियों पर प्रभाव

आचार्य योगेश तिवारी का मानना है कि इस खगोलीय संयोग का प्रभाव सभी लोगों के जीवन पर किसी न किसी रूप में जरूर पड़ेगा। अलग-अलग राशियों के लिए इसका असर अलग होगा, कहीं यह परिवर्तन लाएगा, तो कहीं चेतावनी। ऐसे में यह समय अध्यात्म, संयम और पूर्वजों की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से उपयुक्त रहेगा। तो वहीं इस खगोलीय अद्भुत घटना का प्रभाव देश में सकारात्मक रूप से सामने आएगा।

ये भी पढ़ें

Rajasthan: अचानक सुबह-सुबह धंसने लगी धरती तो मच गया हड़कंप, बन गया 60ft चौड़ा और 50ft गहरा गड्ढा, जानें क्या बोले वैज्ञानिक

Updated on:
02 Sept 2025 02:03 pm
Published on:
02 Sept 2025 02:02 pm
Also Read
View All

अगली खबर