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Ramdev Mandir In Tando Allahyar Pakistan: जैसलमेर के रामदेवरा में लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ रही है तो उधर पाकिस्तान के टांडो अल्लाहयार में बाबा रामदेव मंदिर के दर्शन को करीब 2000 हिन्दू-मुस्लिम पहुंच रहे हैं। सिंध इलाके के इस कस्बे में 45 प्रतिशत आबादी हिन्दुओं की है। बाबा रामसा पीर को यहां रूणेचावाला रामदेव कहकर पुकारते हैं।
पाकिस्तान के सिंध में मुनाबाओ से करीब 180 किमी दूरी पर टांडो अल्लाहयार कस्बा है। यहां करीब 45% हिन्दू रहते हैं। यह कस्बा 1700 ईस्वी के करीब बसा है। विभाजन से पूर्व यहां हिन्दुओं की आबादी अधिक थी। 1947, 1965 और 1971 में काफी संख्या में हिन्दू यहां से पलायन करके भी आए हैं। टांडो अल्लाहयार से आए हिन्दू बाड़मेर में कम बसे हैं, ये पलायन में गुजरात, जोधपुर और बीकानेर की तरफ गए। इन दिनों यह कस्बा बाबा रामदेव यात्रा के लिए पाकिस्तान में चर्चा में है।
यहां भी म्हारो हेलो सुणो नी रामापीर की गूंज है। असल में यहां बाबा रामदेव का प्राचीन मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में प्रतिवर्ष मेला लगता है। जिसमें भाद्रपद द्वितीया (बाबा दूज) के दिन मेला भरा जाता है। करीब नौ दिन तक इस मेले में आसपास के मिठी, थारपारकर, दीपला और हैदराबाद तक से भी बाबा रामदेव के उपासक आते हैं।
जिस तरह से रामदेवरा में पैदल जत्थे ज्यादा रहते हैं, वैसे ही यहां पर भी पैदल जत्थों के रूप में ही बाबा के भक्त पहुंचते हैं। इसमें मेघवाल, माली, मुसलमान और भील समुदाय के लोग ज्यादा संख्या में रहते हैं। राजपूत, ब्राह्मण और अन्य भी पहुंचते हैं।
100 से 150 किमी तक दूरी से गांव-गांव से आने वाले इन जत्थों के लिए हिन्दूओं के विभिन्न संगठनों की ओर से भंडारे और सेवा भी की जाती है। रात को इनके रुकने पर सुरक्षा और खाने-पीने का ख्याल रखा जाता है। इन जत्थों के साथ में भजन मंडलिया चलती है।
भारत के जितने भी लोक देवी—देवता है उनके उपासक पाकिस्तान में भी है। रामसापीर के भक्त बड़ी संख्या में है। बाबा की बीज पर नारियल चढ़ाते हैं। टांडो अल्लाहयार में बड़ा मंदिर है। अन्यत्र भी बाबा के मंदिर है।
Published on:
02 Sept 2025 09:03 am
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