Brain TB Treatment : भारत के वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क टीबी के उपचार के लिए एक अनूठी दवा वितरण विधि विकसित की है, जो सीधे मस्तिष्क तक टीबी की दवाओं को पहुंचाने में सक्षम है। मस्तिष्क की टीबी, जिसे सेंट्रल नर्वस सिस्टम टीबी (सीएनएस-टीबी) कहा जाता है, टीबी का सबसे गंभीर रूप है और उच्च मृत्यु दर का कारण बनता है।
Brain TB Treatment : भारत के वैज्ञानिकों ने मस्तिष्क में टीबी के उपचार के लिए एक नई और अनूठी दवा वितरण विधि विकसित की है, जो गंभीर मस्तिष्क टीबी के उपचार को प्रभावी बना सकती है। यह विधि मस्तिष्क तक दवाओं को सीधे पहुंचाने में सक्षम है, जिससे रोगियों की उपचार प्रक्रिया में उल्लेखनीय सुधार होने की उम्मीद है।
Brain TB Treatment : मस्तिष्क की टीबी, जिसे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र टीबी (सीएनएस-टीबी) कहा जाता है, टीबी के सबसे घातक रूपों में से एक है। यह स्थिति मस्तिष्क में संक्रमण का कारण बनती है, जिससे गंभीर जटिलताएं उत्पन्न होती हैं और अक्सर मृत्यु का खतरा बना रहता है। सीएनएस-टीबी के मामले में दवा का मस्तिष्क तक पहुंचना एक बड़ी चुनौती होती है, क्योंकि मस्तिष्क को सुरक्षा देने वाली रक्त-मस्तिष्क अवरोध (बीबीबी) इसके रास्ते में बाधा डालती है।
यह भी पढ़ें : दिल की सेहत के लिए जरूरी हैं ये 5 व्यायाम
नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी), मोहाली के वैज्ञानिकों ने बीबीबी को बायपास करने के लिए एक नई विधि तैयार की है। वैज्ञानिकों की टीम ने चिटोसन से बने नैनो-एग्रीगेट्स का निर्माण किया है, जो मस्तिष्क तक सीधे दवाओं को पहुंचाने में सक्षम हैं। चिटोसन एक प्राकृतिक, बायोकम्पैटिबल और बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है, जिसका उपयोग नाक से दवाओं को सीधे मस्तिष्क में पहुंचाने के लिए किया जाता है।
इस अनूठी विधि में नाक के माध्यम से टीबी की दवाओं को मस्तिष्क (Brain TB Treatment) तक पहुंचाया जाता है। यह विधि दवाओं को नाक के घ्राण और ट्राइजेमिनल तंत्रिका मार्गों से मस्तिष्क तक पहुंचाती है, जिससे बीबीबी को बायपास किया जा सकता है। नैनो-एग्रीगेट्स टीबी की दवाओं, जैसे कि आइसोनियाजिड और रिफैम्पिसिन, को नियंत्रित कर सकते हैं, जिससे मस्तिष्क में संक्रमण के स्थान पर दवा की जैव उपलब्धता में सुधार होता है।
प्रयोगशाला परीक्षणों में इस विधि ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं। टीबी से संक्रमित चूहों पर परीक्षण के दौरान, नैनो-एग्रीगेट्स का उपयोग करके मस्तिष्क में बैक्टीरिया की संख्या में 1,000 गुना कमी देखी गई। इस विधि से दवा का मस्तिष्क तक बेहतर तरीके से पहुंचना संभव हुआ और संक्रमण के कारण होने वाली सूजन में भी कमी आई।
यह अध्ययन मस्तिष्क टीबी के इलाज के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति के रूप में देखा जा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक न केवल मस्तिष्क टीबी के उपचार में सुधार कर सकती है, बल्कि अन्य मस्तिष्क संबंधी रोगों, जैसे कि अल्जाइमर, पार्किंसंस, मस्तिष्क ट्यूमर और मिर्गी के उपचार में भी सहायक हो सकती है।
मस्तिष्क टीबी का उपचार (Brain TB Treatment) अब नई ऊंचाइयों पर पहुंचने की संभावना है, क्योंकि यह अनूठी दवा वितरण विधि रोगियों को प्रभावी उपचार प्रदान करने और उनकी जीवन प्रत्याशा में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसका उपयोग अन्य जटिल मस्तिष्क रोगों के उपचार में भी संभावित रूप से किया जा सकता है, जिससे मेडिकल क्षेत्र में एक नई क्रांति आने की उम्मीद है।